Edited By Jyoti,Updated: 28 Jan, 2020 12:47 PM
हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार साल में कुल 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। जिनमें से 1 शारदीय नवरात्रि, 1 चैत्र नवरात्रि तथा दो गुप्त नवरात्रि। मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रों में
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हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार साल में कुल 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। जिनमें से 1 शारदीय नवरात्रि, 1 चैत्र नवरात्रि तथा दो गुप्त नवरात्रि। मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रों में देवी दुर्गा के साथ-साथ इनकी दस महाविद्याओं की पूजा अर्चना की जाती है, परंतु ये पूजा गुप्त रूप से की जाती है। दरअसल ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं कि गुप्त नवरात्रि में अधिकतर पूजा तांत्रिक विद्यायों के ज्ञाता लोगों के लिए अधिक लाभकारी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है इस दौरान पूजा-अर्चना तांत्रिक शक्तियों में वृद्धि होती है। यही कारण है इस दौरान तांत्रिक आदि गुप्त रूप से मां को रिझाने में लगे होते हैं क्योंकि माना जाता है अगर गुप्त नवरात्रों में इनकी पूजा का अधिस प्रचार-प्रसार किया जाए तो पूजा का संपूर्ण फल नहीं मिल पाता।
उपरोक्त दी जानकारी के बाद आपको यकीनन यही लग रहा हो कि इस दौरान मां की केवल तांत्रिक प्रकार से पूजा हो सकती है, परंतु ऐसा नहीं है गुप्त नवरात्रि में देवी मां की तांत्रिक तथा सात्विक दोने प्रकार की पूजा की जा सकती है। 25 जनवरी से इस बार के माघ गुप्त नवरात्र पर्व शुरू हो चुका है। जैसे कि सब जान ही चुके हैं कि इस दौरान देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं की आराधना का विधान है। उन्हीं में से एक है माता महाकाली जिन्हें हिंदू धर्म में अधित महत्व प्रदान है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्र के दिनों में अगर कोई साधक नियमित अनुसार 10 दिनों तक माता महाकाली के निम्न नामों का 108 बार रोज़ करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
ऐसे करें माता महाकाली का पूजन
आप में लगभग लोग जानते ही होंगे कि महाकाली का स्वरूप उग्र है मगर ये भी सत्य है कि कलयुग में जागृत दैवीय शक्तियों मेें काली मां को परम स्थान प्राप्त है। कहा जाता है जिस जातक पर मां प्रसन्न हो जाती हैं उसकी समस्त मनोकामनाएं शीघ्र ही शीघ्र पूरी हो जाती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताई इनकी पूजन विधि के अनुसार मां काली की प्रतिमा व तस्वीर स्थापित करके तिलक, लाल पुष्प आदि से पूजन इनका पूजा करना चाहिए। साथ ही बताया जाता है इन्हें काले रंग का वस्त्र अर्पित करने चाहिए, लाभ प्राप्त होता है।
माता महाकाली के इन नामों का जप करें
गुप्त नवरात्र में नौ दिनों तक मां काली के इन 108 नाम का जो भी व्यक्ति नियमित रूप से प्रातः मध्याह्न, सायं तथा रात्रि में जप या पाठ करता है, उस साधक को जल, अग्नि, श्मशान, युद्धस्थल में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता नही रहता है।
मां काली के 108 नाम
काली, कापालिनी, कान्ता, कामदा, कामसुंदरी, कालरात्री, कालिका, कालभैरवपूजिता, कुरुकुल्ला, कामिनी, कमनीयस्वभाविनी, कुलीना, कुलकर्त्री, कुलवर्त्मप्रकाशिनी, कस्तूरीरसनीला, काम्या, कामस्वरूपिणी, ककारवर्णनीलया, कामधेनु, करालिका, कुलकान्ता, करालास्या, कामार्त्ता, कलावती, कृशोदरी, कामाख्या, कौमारी, कुलपालिनी, कुलजा, कुलकन्या, कलहा, कुलपूजिता, कामेश्वरी, कामकान्ता, कुब्जेश्वरगामिनी, कामदात्री, कामहर्त्री, कृष्णा, कपर्दिनी, कुमुदा, कृष्णदेहा, कालिन्दी, कुलपूजिता, काश्यपि, कृष्णमाला, कुलिशांगी, कला, क्रींरूपा, कुलगम्या, कमला, कृष्णपूजिता, कृशांगी
दुर्गा तांत्रिक मंत्र
कन्नरी, कर्त्री, कलकण्ठी, कार्तिकी, काम्बुकण्ठी, कौलिनी, कुमुदा, कामजीविनी, कुलस्त्री, कार्तिकी, कृत्या, कीर्ति, कुलपालिका, कामदेवकला, कल्पलता, कामांगबद्धिनी, कुन्ती, कुमुदप्रिया, कदम्बकुसुमोत्सुका, कादम्बिनी, कमलिनी, कृष्णानंदप्रदायिनी, कुमारिपूजनरता, कुमारीगणशोभिता, कुमारीरंश्चरता, कुमारीव्रतधारिणी, कंकाली, कमनीया, कामशास्त्रविशारदा, कपालखड्वांगधरा, कालभैरवरूपिणि, कोटरी, कोटराक्षी, काशी, कैलाशवासिनी, कात्यायिनी, कार्यकरी, काव्यशास्त्रप्रमोदिनी, कामामर्षणरूपा, कामपीठनिवासिनी, कंकिनी, काकिनी, क्रिडा, कुत्सिता, कलहप्रिया, कुण्डगोलोद्-भवाप्राणा, कौशिकी, कीर्तीवर्धिनी, कुम्भस्तिनी, कटाक्षा, काव्या, कोकनदप्रिया, कान्तारवासिनी, कान्ति, कठिना, कृष्णवल्लभा