Edited By Jyoti,Updated: 11 Jul, 2021 01:45 PM
आषाढ़ मास की नवरात्रि का प्रारंभ हो चुका है जिसके साथ ही देवी के दुर्गा की देश के कई कोनों में शुरू हो चुकी है। अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको यह बता चुके हैं इस दौरान देवी की तांत्रिक
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आषाढ़ मास की नवरात्रि का प्रारंभ हो चुका है जिसके साथ ही देवी के दुर्गा की देश के कई कोनों में शुरू हो चुकी है। अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको यह बता चुके हैं इस दौरान देवी की तांत्रिक और सात्विक दोनों ही तरह की जा सकती है। तो अगर आप गुड नवरात्रि के 9 दिनों में देवी दुर्गा की पूजा करते हैं तो आपके लिए जाना बहुत आवश्यक है कि आपकी पूजा किस रूप में पूर्ण होती है। जी हां मान्यता है कि नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक सुबह शाम देवी दुर्गा की पूजा तो करनी ही चाहिए परंतु श्रद्धा पूर्वक इनकी आरती का गुणगान भी करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती है और सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है। परंतु कुछ लोग यह नहीं जानते हैं कि अगर इनकी पूजा के दौरान इस आरती का गुणगान नहीं किया जाता है तो पूजा हमेशा असफल की रहती है।
आइए जानते हैं किस आरती जिसके बिना देवी की आराधना संपूर्ण नहीं मानी जाती-
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥