Gupt Navratri 2022 में व्रत रखकर पूजा करें या नहीं, जानिए क्या कहते धार्मिक शास्त्र?

Edited By Jyoti,Updated: 30 Jun, 2022 12:32 PM

gupt navratri 2022

हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों के अनुसार वर्ष में कुल चार बार नवरात्रि का पर्व पड़ता है। हिंदी पंचांग के अनुसार चैत्र मास में चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि, आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि तथा माघ मास में गुप्त नवरात्रि।

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों के अनुसार वर्ष में कुल चार बार नवरात्रि का पर्व पड़ता है। हिंदी पंचांग के अनुसार चैत्र मास में चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि, आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि तथा माघ मास में गुप्त नवरात्रि। बता दें आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि का पर्व शुरू हो चुका है, जो 30 जून से 8 जुलाई तक चलने वाला है। हालांकि ज्यादातर लोग चैत्र व आश्विन मास की नवरात्रि रखते हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जहां इन नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की तांत्रिक पूजा का विधान है। तो वहीं समाज में प्रचलित कुछ मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में पूजा नहीं करना चाहिए। असल में ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस बात से अंजान होते हैं कि गुप्त नवरात्रि में पूजा करना चाहिए या नहीं? 
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तो अगर आप भी इस अजमंजस में है कि इस दौरान पूजा करनी चाहिए या नहीं तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर में गुप्त नवरात्रि में व्रत रखना चाहिए तथा क्या इस दौरान पूजा कर सकते हैं? 

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जहां चैत्र और अश्विन मास की नवरात्रि के दौरान भक्त पूजा कर सकते हैं, इसलिए इसे प्रत्यक्ष नवरात्रि भी कहा जाता है, परंतु बात करें गुप्त नवरात्रि की तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये नवरात्रि मुख्य रूप से साधकों के लिए विशेष मानी जाती है। 
धार्मिक मत है कि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में सात्विक या दक्षिणमार्गी साधना संपन्न होती जाती है, जबकि गुप्त नवरात्रि में तंत्र अर्थात वाममार्गी साधना करने की विधान जो तांत्रिक आदि ही कर सकते हैं, कोई आम व्यक्ति ये पूजा नहीं कर सकता। 

जहां चैत्र व शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में अघोरी व तांत्रिक मुख्य रूप से दस महाविद्याओं से से किसी की भी साधना करते हैं ताकि उन्हें सिद्धियों की प्राप्ति हो सके। गुप्त नवरात्रि में ये पूजा अधिक सफल होती है। 

वर्ष में पड़ने वाले दोनों ही गुप्त नवरात्रि में विशेष तौर से तांत्रिक साधुओं के लिए, तांत्रिक क्रियाएं करने वालों, शक्ति साधना करने वाले तथा महाकाल से जुड़े लोगं के लिए महत्व रखती हैं। ज्योतिष विशेषज्ञ बताते हैं कि आम लोगों को इनसे दूर रहना चाहिए। 
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ज्योतिष शास्त्री जानकारी देते हैं कि इस दौरान देवी भगवती के साधक कड़े नियम आदि के साथ व्रत व साधना करते हैं। ऐसा कहा जाता है इनसे जुड़े नियमों का पालन न किया जाए तो किसी को गुप्त नवरात्रि मे संकल्प नहीं लेना चाहिए। 
जहां प्रत्यक्ष नवरात्रि को जातक सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्रत किया जाता है तो वहीं गुप्त नवरात्रि को आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति, सिद्धि, मोक्ष हेतु व्रत किया जाता है। 
 

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बता दें चैत्र और शारदीय नवरात्रि गृहस्थओं और सामान्यजनों के लिए बेहद खास माना जाता है परंतु गुप्त नवरात्रि केवल  संतों और साधुओं के लिए विशेष मानी जाती है। ध्यान दें गुप्त नवरात्रि साधना की नवरात्रि कहलाती है ये कोई उत्सव नहीं माना जाता। 

इसके अलावा बता दें गुप्त नवरात्रि के दौरान समस्त 10 माताएं पूजा से नहीं साधना करने से अत्यंत प्रसन्न होती हैं। अतः इस दौरान इनकी विशेष प्रकार की साधना की जाती है। शास्त्रों में ये बताई गई है 10 महाविद्याएं- 
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पहला:- सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला), दूसरा:- उग्र कोटि (काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी), तीसरा:- सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को साधना के अनुसार ही इनका चयन करके साधना करनी चाहिए।
 

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