Guru Gobind Singh Jayanti 2021: कलम तथा तलवार के धनी थे दशमेश पिता

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Jan, 2021 01:17 AM

guru gobind singh jayanti

सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश संवत् 1723 को श्री गुरु तेग बहादुर जी के घर माता गुजरी जी की कोख से पटना साहिब (बिहार) में हुआ। आपका बचपन का नाम गोबिंद राय था।

When was Guru Gobind Singh birthday : सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश संवत् 1723 को श्री गुरु तेग बहादुर जी के घर माता गुजरी जी की कोख से पटना साहिब (बिहार) में हुआ। आपका बचपन का नाम गोबिंद राय था। धर्म प्रचार का दौरा समाप्त होने पर जब श्री गुरु तेग बहादुर जी पंजाब आए तो आपने अपने परिवार को भी पटना से अपने पास आनंदपुर साहिब बुला लिया। यहां गोबिंद राय जी ने धार्मिक विद्या ग्रहण की तथा शस्त्रबाजी में भी निपुणता हासिल की। कश्मीर के उस समय के गवर्नर इफ्तखार खान ने औरंगजेब के इशारे पर कश्मीर के ब्राह्मणों पर बहुत अत्याचार किए।
 PunjabKesari Guru Gobind Singh Jayanti
Guru Gobind Singh Birthday 2021: हिन्दुओं को जबरदस्ती मुस्लिम धर्म ग्रहण करने के लिए विवश किया जा रहा था। जुल्मों से तंग आकर कश्मीरी ब्राह्मणों का एक दल मटन के निवासी पंडित कृपाराम दत्त की अध्यक्षता में श्री गुरु तेग बहादुर जी की शरण में आनंदपुर साहिब में 25 मई, 1675 ई. को आया तथा अपने धर्म की रक्षा के लिए उनसे गुहार की।

Guru Gobind Singh Jayanti: गोबिंद राय जी ने अपने पिता को हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए स्वयं दिल्ली की तरफ रवाना किया। गुरु तेग बहादुर जी गुरुगद्दी श्री गोबिंद राय जी को सौंप गए।

Guru Gobind Singh Jayanti in India in 2021: एक वैशाख संवत् 1756 को गुरु जी ने खालसा पंथ की सृजना की तथा पांच प्यारे सजाए। इन पांच प्यारों का जन्म तलवार की धार पर हुआ। गुरु जी ने बाद में पांच प्यारों को गुरु के तुल्य सम्मान देते हुए उनसे खुद अमृतपान किया तथा ‘आप ही गुरु व आप ही चेला’ का संकल्प दिया। इनका नाम गोबिंद राय से गुरु गोबिंद सिंह जी हो गया।

Guru Gobind Singh Jayanti 2021: हालांकि गुरु जी को बहुत ज्यादा समय युद्धों में रहना पड़ा, इसके बावजूद इन्होंने बहुत बाणी की रचना की, जिनमें जाप साहिब, सवैये, बचित्तर नाटक, वार श्री भगौती जी की (चंडी दी वार), अकाल उसतति, काफरनामा के नाम उल्लेखनीय हैं। इसलिए इन्हें कलम तथा तलवार के धनी भी कहा जाता है।

PunjabKesari Guru Gobind Singh Jayanti
Guru Govind Singh Jayanti in India: आनंदपुर साहिब तथा पाऊंटा साहिब में रहते हुए गुरु जी ने पुरातन धार्मिक ग्रंथों का अनुवाद भी करवाया। आप जी की हजूरी में 52 कवि हमेशा रहा करते थे, जिन्होंने काफी साहित्य की रचना की। मुगलों तथा 22 धार के राजाओं द्वारा अपने-अपने धार्मिक ग्रंथों की शपथ लेने पर 6 पौष संवत् 1761 मुताबिक 20 दिसम्बर, 1704 ई. (प्रिं. तेजा सिंह, डा. गंडा सिंह के अनुसार 1705 ई.) को गुरु जी ने आनंदपुर साहिब को छोड़ दिया। कुछ ही समय के पश्चात दुश्मन अपनी शपथों को भूल गया तथा गुरु जी पर हमला कर दिया। सरसा नदी पर घोर युद्ध हुआ जिसमें गुरु जी का परिवार बिखर गया। गुरु जी को चमकौर साहिब में मुगलों से युद्ध लड़ना पड़ा, जिसमें गुरु जी के दो बड़े साहिबजादे, तीन प्यारे तथा कई सिंह शहीद हो गए। गुरु जी के दो छोटे साहिबजादों को सरहिंद के सूबेदार वजीर खान द्वारा दीवारों में चिनवा कर शहीद कर दिया गया। माता गुजरी जी का देहांत भी सरहिंद में ही हुआ।

चमकौर साहिब से आप जी पांचों प्यारों का हुक्म मानकर माछीवाड़े के जंगलों में जा पहुंचे, जहां आप जी ने पंजाबी में शब्द उचारा :-

‘मित्तर प्यारे नूं हाल मुरीदां दा कहणा।।
तुधू बिनु रोगु रजाइयां दा ओढण नाग निवासां दे रहणा।।
सूल सुराही खंजर प्याला बिंगु कमाइयां दा सहणा।।
यारड़े दा सानू सत्थर चंगा भ_ खेड़िया दा रहणा।’


इसके बाद आप जी को माछीवाड़ा के दो पठान भाइयों नबी खां, गनी खां ने ‘उच्च दा पीर’ के रूप में आगे के लिए रवाना किया। जब आप खिदराने की ढाब (मुक्तसर साहिब) के निकट पहुंचे तो मुगल सेना ने दोबारा आप जी पर हमला कर दिया। यहां माई भागो व भाई महां सिंह जी के नेतृत्व में गुरु जी का किसी समय साथ छोड़ चुके सिंहों ने मुगलों से लड़ाई की।

यहां भी जीत गुरु जी की हुई। गुरु साहिब ने मुक्तसर की लड़ाई के बाद तलवंडी साबो में आकर कुछ समय तक आराम किया तथा यहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र बीड़ दोबारा लिखवाई, जिसमें श्री गुरु तेग बहादुर जी की बाणी भी शामिल की गई। इससे पहले गुरु जी ने औरंगजेब को जफरनामा भी लिखा, जिसका अर्थ है ‘विजय पत्र’।

इतिहास बताता है कि औरंगजेब जफरनामे को पढ़ कर इतना भयभीत हुआ कि उसके पाप उसको डराने लगे तथा अंत में उसकी मौत हो गई। बाद में गुरु जी दक्षिण की ओर चले गए तथा महाराष्ट्र के शहर नांदेड़ में रह रहे माधो दास बैरागी को अमृत छका कर बाबा बंदा सिंह बहादुर बनाया जिन्होंने सरहिंद की ईंट से ईंट बजाते हुए गुरु साहिब जी के छोटे साहिबजादों की शहादत का बदला लिया। नांदेड़ में ही आप जी ने गुरुगद्दी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को दे दी तथा 7 अक्तूबर, 1708 ई. को ज्योति जोत समा गए। गुरु जी की सारी लड़ाई मानवता की रक्षा के लिए थी।    

PunjabKesari Guru Gobind Singh Jayanti

 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!