आज टूटेगी शनि-बृहस्पति की युति, देव गुरु लौटेंगे धनु राशि में

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jun, 2020 07:19 AM

guru in dhanu rashi

जून महीना ज्योतिष की दृष्टि से बहुत खास रहा है। इस महीने में दो ग्रहण लगे। पहले चंद्र ग्रहण और फिर सूर्य ग्रहण। 6 ग्रहों के वक्री होने का योग भी बना। शनि व सूर्य के बीच शाष्टक योग भी बना। इसके अलावा और भी कई संयोग बने। 9 जून को शुक्र ग्रह उदय हुए।

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Jupiter Transit 2020: जून महीना ज्योतिष की दृष्टि से बहुत खास रहा है। इस महीने में दो ग्रहण लगे। पहले चंद्र ग्रहण और फिर सूर्य ग्रहण। 6 ग्रहों के वक्री होने का योग भी बना। शनि व सूर्य के बीच शाष्टक योग भी बना। इसके अलावा और भी कई संयोग बने। 9 जून को शुक्र ग्रह उदय हुए। 14 जून को सूर्य ने राशि परिवर्तन किया । 13 जून को बुध ग्रह अपने मिथुन राशि में वक्री हो गए। 25 जून को शुक्र ग्रह मार्गी हुए और अब 30 जून को देव गुरु बृहस्पति अपनी धनु राशि में लौटने जा रहे हैं। उनके धनु राशि में लौटते ही मकर राशि में शनि व बृहस्पति की युति भी टूट जाएगी और केतु व बृहस्पति की युति फिर से आरंभ हो जाएगी।

PunjabKesari Guru In Dhanu Rashi

वैदिक ज्योतिष में गुरु को अत्यंत शुभ ग्रह माना जाता है। साथ ही बृहस्पति को नवग्रहों में देव गुरु का दर्जा भी दिया गया है। इन्हें अध्यात्म का कारक माना जाता है और इन्हें दार्शनिक का दर्जा भी दिया गया है। यह ज्ञान के भी दाता हैं। ऐसा माना जाता है कि देव गुरु बृहस्पति हमारे आध्यात्मिक ज्ञान व बुद्धि को निर्देशित करते हैं और जिस जातक पर यह प्रसन्न होते हैं, उसे जिंदगी में किसी चीज की कमी नहीं रहती।  समाज में खूब यश व सम्मान मिलता है। जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति का प्रभाव अधिक होता है,  उस व्यक्ति का मन धर्म एवं आध्यात्मिक कार्यों में अधिक लगता है।

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हमारे इस ब्रह्मांड में सूर्य के बाद बृहस्पति दूसरे सबसे विशाल ग्रह हैं। बृहस्पति एकमात्र ऐसे ग्रह है जो वक्री अवस्था यानी अपनी उल्टी चाल में भी बहुत सारी राशियों के जातकों को लाभ दे जाते हैं। कर्क राशि में उच्च एवं मकर राशि में नीच के होते हैं। धनु व मीन इनकी अपनी राशियां हैं।

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वैदिक ज्योतिष में गुरु गोचर को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि गुरु जीवन में उन्नति के साथ-साथ ज्ञान, कर्म, धन, पुत्र और विवाह के कारक होते हैं। 

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अब 30 जून को देव गुरु बृहस्पति सुबह 5:23 पर अपनी नीच राशि मकर से अपनी स्वराशि धनु में प्रवेश करने जा रहे हैं, जहां वह 20 नवंबर तक रहेंगे। धनु राशि में रहते हुए देव गुरु बृहस्पति केतु के साथ युति यानी कंबीनेशन बनाएंगे। 20 नवंबर को देव गुरु बृहस्पति वापस अपनी नीच मकर राशि में चले जाएंगे और साल के अंत तक मकर राशि में ही उनका संचार होगा। जब देव गुरु बृहस्पति 30 जून को धनु राशि में आएंगे तो उनके इस राशि परिवर्तन से बृहस्पति और राहु का दृष्टि संबंध भी बनेगा यानी दोनों एक दूसरे को देखेंगे। उनके इस दृष्टि संबंध का असर अर्थव्यवस्था से लेकर देश के कई घटनाक्रमों पर पड़ेगा। कुछ देशों में सरहदों पर तनाव बढ़ सकता है। कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं भी घटित होंगी।

गुरमीत बेदी

gurmitbedi@gmail.com

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