आज पढ़े गुरु प्रदोष व्रत कथा और पाएं भोले बाबा की कृपा

Edited By Lata,Updated: 26 Sep, 2019 11:38 AM

guru pardosh vrat katha

हिंदू पंचांग के अनुसार आज प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। इस बार प्रदोष व्रत गुरुवार यानि कि आज पड़ा है,

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हिंदू पंचांग के अनुसार आज प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। इस बार प्रदोष व्रत गुरुवार यानि कि आज पड़ा है, जिसकी वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार एकादशी की तहर हर मास में दो प्रदोष व्रत भी आते हैं और यह व्रत हर मास के कृष्ण पक्ष और फिर शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि में पड़ता है। जिस तरह एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा का विधान है, उसी प्रकार प्रदोष व्रत में भगवान शिव की आराधना की जाती है। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से भोलेनाथ की कृपा को पाया जा सकता है। इसके साथ ही इस दिन व्रत कथा भी जरूर पढ़ना या सुननी चाहिए। 
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गुरु प्रदोष व्रत कथा
स्कंद पुराण के एक कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक विधवा ब्राह्मणी रोज अपने पुत्र को लेकर भिक्षा लेने जाती। ऐसे ही एक दिन वह जब भिक्षा लेकर लौट रही थी तो उसे एक अत्यंत सुन्दर बालक दिखा। वह बालक उदास था और अकेला बैठा हुआ था। वह विदर्भ देश का राजकुमार धर्मगुप्त था। हालांकि, ब्राह्मणी नहीं जानती थी कि वह बालक कौन है। एक युद्ध में शत्रुओं ने धर्मगुप्त के पिता को मार दिया था और उसका राज्य हड़प लिया था। इसके बाद उसकी माता की भी मृत्यु हो गई। ब्राह्मणी ने उस बालक को अपना लिया और अच्छे से उसका पालन-पोषण किया। कुछ समय बाद ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ देव मंदिर गई। यहीं उनकी भेंट ऋषि शांडिल्य से हुई। ऋषि ने बताया कि जो बालक मिला है वह विदर्भ देश के राजा का पुत्र है। यह सुनकर महिला उदास हो गई। महिला की उदासी को देखकर ऋषि शांडिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। ऋषि की आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया।
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दोनों बालक कुछ दिनों बाद जब बड़े हुए तो वन में घूमने निकले गये। वहां उन्हें कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आई। ब्राह्मण बालक तो घर लौट आया किंतु राजकुमार धर्मगुप्त 'अंशुमती' नाम की गंधर्व कन्या पर मोहित हो गया। कन्या ने विवाह हेतु राजकुमार को अपने पिता से मिलवाने के लिए बुलाया। दूसरे दिन जब वह पुन: गंधर्व कन्या से मिलने आया तो गंधर्व कन्या के पिता को पता चला कि वह विदर्भ देश का राजकुमार है। इसके बाद भगवान शिव की आज्ञा और आशीर्वाद से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से करा दिया। राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर फिर से अपना शासन स्थापित किया।

मान्यता है कि ऐसा ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने का फल था। स्कंद पुराण के अनुसार जो कोई प्रदोष व्रत करता है और इसकी कथा सुनता या पढ़ता है उसकी तमाम समस्याएं दूर होती हैं।

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