गुरु प्रदोष कल: महा टोटके के साथ शुभ मुहूर्त में करें पूजन, पढ़ें कथा

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 28 Mar, 2018 11:46 AM

guru pradosh

गुरुवार दि॰ 29.03.18 चैत्र शुक्ल त्रयोदशी पर गुरु प्रदोष पर्व मनाया जाएगा। परमेश्वर शिव को समर्पित त्रयोदशी तिथि सभी दोषों का नाश करती है अतः इसे प्रदोष कहते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार त्रयोदशी के स्वामी कामदेव हैं व इसके अमृत कला का पान कुबेर करते...

गुरुवार दि॰ 29.03.18 चैत्र शुक्ल त्रयोदशी पर गुरु प्रदोष पर्व मनाया जाएगा। परमेश्वर शिव को समर्पित त्रयोदशी तिथि सभी दोषों का नाश करती है अतः इसे प्रदोष कहते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार त्रयोदशी के स्वामी कामदेव हैं व इसके अमृत कला का पान कुबेर करते हैं। इस तिथि का विशेषण जय-करा है। शास्त्रनुसार इस दिन समस्त दिव्यात्माएं अपने सूक्ष्म स्वरूप में शिवलिंग में समा जाती हैं। इस दिन प्रदोषकाल में शिवलिंग के दर्शन मात्र से सर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं व बिल्वपत्र चढ़ाकर दीप जलाने से अनेक पुण्य प्राप्त होते हैं। वार अनुसार प्रदोष पूजन करने का शास्त्रीय विधान है। 


गुरु प्रदोष के बारे में एक छ्ंद है "शत्रु विनाशक-भक्ति प्रिय, व्रत है यह अति श्रेष्ठ। वार मास तिथि सर्व से, व्रत है यह अति ज्येष्ठ" 


पौराणिक कथानुसार एक बार इंद्र व वृत्रासुर की सेना में हुए युद्ध में देवताओं ने दैत्यों को पराजित कर डाला। यह देख क्रोधित वृत्रासुर आसुरी माया से विकराल रूप धारणकर स्वयं युद्ध में कूद पड़ा। सभी भयभीत देवता बृहस्पति की शरण में गए। बृहस्पति ने वृत्रासुर परिचय देते हुए कहा की तपस्वी वृत्रासुर ने गंध-मादन पर्वत पर घोर तप कर शिव को प्रसन्न किया है। पूर्वजन्म में भी वह शिवभक्त चित्ररथ नामक राजा था। एक बार जब वह कैलाश महादेव के दर्शन हेतु गया तो उसने महादेव के वाम अंग में बैठी पार्वती को देखकर उनका उपहास कर दिया जिस से पार्वती ने क्रोधित होकर चित्ररथ को दैत्य स्वरूप धारण करने का श्राप दे दिया। श्राप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हो त्वष्टा ऋषि के तप से उत्पन्न हो वृत्रासुर बना। अतः हे इन्द्र! तुम गुरु प्रदोष व्रत कर महादेव को प्रसन्न करो। इंद्र ने आज्ञा मानकर गुरु प्रदोष का पालन किया व वृत्रासुर पर विजय प्राप्त की। गुरु प्रदोष के व्रत, पूजन व उपाय से शत्रुओं का अंत होता है, दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है व परिजनो के कष्टों का निवारण होता है।


विशेष पूजन विधि: शिवालय जाकर शिवलिंग का विधिवत पूजन करें। पीतल के दिपक में गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, बिल्वपत्र चढ़ाएं, पीपल का पत्ता चढ़ाएं, पीत चंदन से त्रिपुंड बनाएं, बेसन के लड्डू का भोग लगाएं, केले चढ़ाएं तथा रुद्राक्ष माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें।


पूजन मुहूर्त: शाम 18:35 से शाम 19:35 तक।
पूजन मंत्र: वृं वृत्ता-वृत्त-कराय नमः शिवाय वृं॥


उपाय
दुर्भाग्य से मुक्ति पाने हेतु शिवलिंग पर केसर मिले जल से अभिषेक करें।


परिजनों के कष्टों के निवारण हेतु शिवलिंग पर चढ़ा नींबू घर के मेन गेट पर बांधें।

महा टोटका: शत्रु दमन हेतु शत्रु का नाम लेते हुए शिवलिंग के समक्ष पीली सरसों कर्पूर से जलाएं। 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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