Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Jul, 2021 08:31 AM
भारतीय संस्कृति में माता-पिता को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। ‘पदम पुराण’ में कहा गया है कि ‘पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही उत्तम तप है।’
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Guru Purnima 2021: भारतीय संस्कृति में माता-पिता को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है। ‘पदम पुराण’ में कहा गया है कि ‘पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है और पिता ही उत्तम तप है।’
पिता के खुश हो जाने से सारे देवता खुश हो जाते हैं। अगर मां सभी तीर्थों की तरह है तो पिता सभी देवताओं का स्वरूप हैं इसलिए हम सबको माता-पिता का आदर करना चाहिए।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में विचरते हुए वह कई रिश्ते निभाता है। इनमें से पिता-पुत्र का रिश्ता अपनी जगह पर बहुत अहम स्थान रखता है। भारतीय संस्कृति में दशरथ-राम, बृशभान-राधा, भीम-घटोत्कच, अर्जुन-अभिमन्यु जैसे कई उदाहरण मौजूद हैं। मां की तरह पिता का बच्चे के जीवन में विशेष महत्व होता है। मां बच्चे को जन्म देती है तो पिता उसका पालन-पोषण करता है।
जिन बच्चों का रिश्ता अपने पिता के साथ अच्छा होता है वे बच्चे बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप में कहीं ज्यादा मजबूत होते हैं। पिता सारी उम्र सख्त मेहनत करता है सारा जीवन अपने परिवार की तरक्की के लिए समर्पित कर देता है।
चाहे पिता द्वारा लागू किया गया अनुशासन बच्चों को कई बार पसंद नहीं आता और बच्चे सोचते हैं कि पिता उनको प्यार नहीं करते, पर पिता की सख्ती में अपने बच्चों के लिए छुपा हुआ बेअंत प्यार और चिंता होती है। पिता से ही एक बच्चा परिवार के प्रति जिम्मेदारी निभाना सीखता है, जो जिंदगी की मुसीबतों को झेलने में उसे समर्थ बनाती है।