Gurudwara Nanakmatta Sahib: आमजन को नई राह और दिशा दिखाता है

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Jun, 2022 09:31 AM

gurudwara nanakmatta sahib

हिमालय की गोद में सुशोभित देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों में से एक पवित्र गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी की तपोस्थली है। यहां विश्व भर से श्रद्धालु शीश झुकाने आते हैं।

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Gurudwara Nanakmatta Sahib: हिमालय की गोद में सुशोभित देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों में से एक पवित्र गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी की तपोस्थली है। यहां विश्व भर से श्रद्धालु शीश झुकाने आते हैं। 1508 ई. से पहले उत्तर भारत का यह क्षेत्र गोरखमत्ता के नाम से जाना जाता था जहां गोरखनाथ के भक्त रहते थे। उस समय तक यह सिद्धों का भी निवास स्थान था इसलिए इसे सिद्धमत्ता भी कहा जाता था। गुरु नानक देव जी ने नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब में स्थित पीपल के पेड़ के नीचे अपना आसन लगाया था।

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What is Nanakmatta famous for: किंवदंती है कि सिद्धों ने गुरु नानक देव जी को छाया देने वाले पीपल को अपनी योग शक्ति से आंधी और बरसात के साथ उखाड़ दिया। गुरु नानक देव जी ने पीपल पर अपना पंजा लगाकर उसे रोक दिया और पेड़ फिर हरा भरा हो गया। इस पेड़ को आज भी लोग पंजा साहिब के नाम से जानते हैं। गुरु महाराज की उत्तराखंड यात्रा का उल्लेख नानक देव जी की तीसरी उदासी अर्थात तीसरी यात्रा के रूप में मिलता है।

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Gurudwara nanakmatta sahib uttarakhand: गुरु महाराज जब सन् 1515 में करतारपुर से कैलाश पर्वत की यात्रा करने निकले तो अपने शिष्य भाई मरदाना जी और बाला जी के साथ यहां आए थे। तब सिद्ध यहां पर साधना किया करते थे जो स्वभाव से अहंकारी थे पर गुरु नानक देव जी ने अपने दिव्य ज्ञान से उनका अहंकार तोड़ कर उन्हें निर्मल ज्ञान और गुरबाणी का संदेश दिया था।

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Nanakmatta sahib gurudwara history: नानक देव जी ने उनसे कहा कि अपने परिवार की सेवा ही सबसे सच्ची सेवा और देव कार्य है। उन्हें गुरु की बाणी में प्रकाश की अनुभूति हुई और वे उनके आगे नतमस्तक हो गए। गुरु नानक देव जी ने देवभूमि में स्थित कुमाऊं मंडल के ऊधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर-चंपावत राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट नानकमत्ता में सामाजिक एकता के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान की गंगा भी बहाई है।

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नानकमत्ता देवभूमि उत्तराखंड में ऐसा तीर्थ स्थल है, जो सिख पंथ के तीन गुरुओं की आध्यात्मिक और गौरव गाथा से जुड़ा हुआ है। उनके आध्यात्मिक चमत्कारों का पुण्य स्थल है। प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी के बाद छठे गुरु श्री हरिगोबिंद जी तथा दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी भी नानकमत्ता आए इसलिए इसे सिख पंथ की त्रिवेणी भी कहा जाता है।

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जानकार बताते हैं कि अवध के राजकुमार नवाब अली खां ने गुरु गोबिंद सिंह जी से प्रभावित होकर नानकमत्ता क्षेत्र की जमीन उन्हें उपहार में दी थी।  

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नानकमत्ता ऐतिहासिक तीर्थ धाम गुरु का स्थान है जो आम जन को नई राह और नई दिशा दिखाता है। गुरु नानक देव जी महाराज मानवता की मिसाल हैं। उन्होंने नानकमत्ता में अनेक दीन-दुखियों और जरूरतमंदों की स्वयं मदद करके उन्हें समाज सेवा का सच्चा रास्ता दिखाया। ऊंच-नीच, जात-पात का भेदभाव न कर उन्होंने सभी को दीन-दुखियों की सेवा करने का उपदेश दिया।
नानकमत्ता गुरु नानक देव जी की साधना, चमत्कारों तथा समाज सेवा का प्रतीक स्थल है जो सर्वधर्म समभाव की सीख देता है। यहां उन्होंने अपने शिष्यों को मानव कल्याण के लिए साम्प्रदायिक सौहार्द की ज्योति जगाने का आदेश दिया था।   

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