Kundli Tv- मनाली के इस मंदिर में राक्षसी की होती है पूजा!

Edited By Jyoti,Updated: 26 Aug, 2018 11:29 AM

hadimba temple in manali

भारत का कोना-कोना अलग-अलग तरह के मंदिरों व धार्मिक स्थलों से भरा पड़ा है। हर मंदिर के साथ लोगों की अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुईं है। आज हम आपको देवी के एक एेसे ही मंदिर से रूबरू करवाने जा रहे हैं जो मनाली की शान माना जाता है। यह मंदिर माता हिडिंबा...

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भारत का कोना-कोना अलग-अलग तरह के मंदिरों व धार्मिक स्थलों से भरा पड़ा है। हर मंदिर के साथ लोगों की अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुईं है। आज हम आपको देवी के एक एेसे ही मंदिर से रूबरू करवाने जा रहे हैं जो मनाली की शान माना जाता है। यह मंदिर माता हिडिंबा मंदिर के नाम से देशभर में मशहूर है। आइए जानें इस मंदिर के बारे में-

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मनाली मॉल से एक किलोमीटर दूर देवदार के घने व गगन चुंबी जंगलों के बीच स्थित लगभग 82 फुट ऊंचे पगौड़ा शैली के मंदिर का निर्माण कुल्लू के राजा बहादुर सिंह ने सन 1553 में करवाया था। कहा जाता है कि यह खूबसूरत मंदिर पर्यटन नगरी मनाली के आकर्षक मंदिरों में से एक माना जाता है। मनाली घूमने आने वाला हर व्यक्ति माता के दरबार में हाज़री लगाने ज़रूर आता है। मंदिर के अंदर माता हिडिंबा की चरण पादुका हैं। लोक मान्यता के अनुसार प्राचीन समय में यहां जानवरों की बलि दी जाती थी, अब इसे बंद कर दिया गया है। लेकिन आज भी मंदिर की दीवारों पर सैकड़ों जानवरों के सींग लटके हुए पाए जाते हैं।
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लकड़ी से बने इस मंदिर की चार छतें है। नीचे की तीन छतों का निर्माण देवदार की लकड़ी के तख्तों से किया गया है जबकि उपर की चौथी छत तांबे और पीतल से बनी है। नीचे की छत सबसे बड़ी, दूसरी उससे छोटी, तीसरी उससे भी छोटी और चौथी सबसे छोटी है। सबसे छोटी छत एक कलश जैसी नज़र आती है। दरअसल परिसर के अन्दर एक शिला है जिसे, देवी का विग्रह रूप मानकर पूजा जाता है। हर साल जेष्ठ माह में यहां मेला लगता है। यहां पर भीम के पुत्र घटोत्कच का भी मंदिर है।
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पौराणिक मान्यता के अनुसार हिडिंबा एक राक्षसी थी, जिसके भाई हिडंब का राज मनाली के आस-पास के पूरे इलाके में था। हिडिंबा ने महाभारत काल में पांचों पांडवों में सबसे बलशाली भीम से शादी की थी। लेकिन इसके साथ भी एख कहानी जुड़ी हुई है। कहते हैं कि हिडिंबा ने प्रण लिया था कि जो उसके भाई हिडिंब को युद्ध में मात देगा। उससे वो शादी करेगी। उससे वो शादी करेगी। अज्ञातवास के दौरान पांडव मनाली के जंगलों में भी आए थे और उसी समय यहां राक्षस हिडिंब से भीम से युद्ध किया और उसे हराकर उसकी हत्या कर दी थी। इसके बाद हिडिंबा ने भीम से शादी कर ली थी। लेकिन भीम से शादी करने के बाद राक्षसी हिडिंबा मानवी बन गई। महाभारत के युद्ध में एक अहम रोल निभाने वाला घटोत्कच लोक कथाओं के मुताबिक हिडिंबा और भीम का ही बेटा था। मां के आदेश पर घटोत्कच ने युद्ध में अपनी जान देकर कर्ण के बाण से अर्जुन की जान बचाई थी। इसके बाद से मनाली के लोग हिडिंबा राक्षसी की पूजा करने लगे थे।
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कहा जाता है कि विहंगम दास नाम का शख्स एक कुम्हार के यहां नौकरी करता था। हिडिम्बा देवी ने विहंगम को सपने में दर्शन देकर उसे कुल्लू का राजा बनने का आशीर्वाद दिया था। इसके बाद विहंगम दास ने यहां के एक अत्याचारी राजा का अंत कर दिया था। वे कुल्लू राजघराने के पहले राजा माने जाते हैं। इनके वंशज आज भी हिडिम्बा देवी की पूजा करते हैं। कुल्लू राजघराने के ही राजा बहादुर सिंह ने हिडिंबा देवी की मूर्ति के पास मंदिर बनवाया था।
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