हलषष्ठी व्रत 2019 : 21 अगस्त को न खाएं खेत में उगे हुए अनाज और सब्जी!

Edited By Jyoti,Updated: 21 Aug, 2019 10:29 AM

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आज दिनांक 21.08.19 यानि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन बुधवार को बलराम जयंती का पर्व मनाया जाएगा। बता दें इस दिन को श्रीकृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम जिन्हें भगवान कृष्ण दाऊ भैया कहते थे उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

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आज दिनांक 21.08.19 यानि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन बुधवार को बलराम जयंती का पर्व मनाया जाएगा। बता दें इस दिन को श्रीकृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम जिन्हें भगवान कृष्ण दाऊ भैया कहते थे उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बलराम जयंती को हलष्ठी, ललई छठ व हरछठ के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्री कृष्ण के जन्म से दो दिन पूर्व भाद्रपद के कृष्णपक्ष की षष्ठी को उनके भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसी के चलते प्रत्येक वर्ष ये पर्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से कुछ दिन पहले कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
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बता दें भगवान बलराम का शास्त्र हल व मसूल हैं, जिस कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। मान्यता है इस व्रत को करने वाले व अन्य लोगों को भी खेत में उगे हुए या हल से जोत कर उगाए गए अनाज और सब्जियों नहीं खाने चाहिए।

यहां जानें व्रत से संबंधित खास बातें-
जैसा कि हमने ऊपर बताया है हलषष्ठी का व्रत श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन व्रत और पूजा करने की खास परंपरा है। हलषष्ठी का व्रत विशेषकर पुत्रवती महिलाएं करती हैं। यह पर्व हलषष्ठी, हलछठ , हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ, ललही छठ, कमर छठ, या खमर छठ के नामों से भी जाना जाता है। यह व्रत महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घ आयु और उनकी सम्पन्नता के लिए करती हैं। माताएं व्रत पूजन के साथ ही अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं। इस दिन हल की पूजा का विशेष महत्व है। चूंकि भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का अस्त्र हल था जिस कारण महिलाएं इस दिन हल का पूजन करती हैं। महिलाएं अपने पुत्र की सलामती के लिए निर्जल व्रत रखती हैं।
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पूजन विधि-
शाम के समय पूजा के लिए व्रती मालिन हरछठ बनाकर लाती हैं। इसके बाद झरबेरी, कुश और पलास की एक-एक डालियां एक साथ बांधी जाती है। उसके बाद हरछठ को वहीं पर लगा दिया जाता है। सबसे पहले कच्चे जनेऊ का सूत हरछठ को पहनाया जाता है। उसके बाद फल आदि का प्रसाद चढ़ाने के बाद कथा सुनी जाती है।

क्या न खाएं-
इस दिन खेत में उगे हुए या हल जोत कर उगाए गए अनाज और सब्जियों को का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि हल बलराम जी का प्रमुख शस्त्र है। इसके अलावा बलराम जयंती के दिन गाय का दूध और इससे बने वस्तु का सेवन करने की भी मनाही है।
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क्या खाएं-
महिलाएं तालाब में उगे पसही/तिन्नी का चावल या महुए का लाटा बनाकर सेवन करती हैं। बता दें इस व्रत का समापन महिलाएं भैंस के दूध से बने दही और महुवा (सूखे फूल) को पलाश के पत्ते पर खाकर करती हैं तो वहीं हरछठ के दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को पसही के चावल या महुए का लाटा बनाकर पारण करने की भी मान्यता है।
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