हनुमान जयंतीः क्या सच में इस गुफा में हुआ था बजरंगबली का जन्म ?

Edited By Lata,Updated: 19 Apr, 2019 10:08 AM

hanuman jayanti

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को बजरंगबली का प्रकट उत्सव यानि हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है

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हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को बजरंगबली का प्रकट उत्सव यानि हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है और इस बार यह त्यौहार आज यानि 19 अप्रैल 2019 को मनाया जा रहा है। शास्त्रों में हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार बताया गया है। आज हम बात करेंगे हनुमान के जन्म के बारे में। क्या किसी पता है कि उनका जन्म कब, कहां और कैसे हुआ ? वैसे तो वाल्मीकि रामायण में बताए गए कई प्रसंगों को जोड़ कर इस बात की पुष्टि हुई है कि उनका जन्म झारखंड के आंजन गांव में स्थिति एक गुफा में माना जाता है। लेकिन आज हम आपको इन सबसे परे उनके जन्म से जुड़ी एक कथा के बारे में बताते हैं। आइए जानते हैं- 
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मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म गुमला जिले के आंजनधाम स्थित एक पहाड़ी की गुफा में हुआ था। जिस गुफा में भगवान का जन्म हुआ था, उसका दरवाजा कलयुग में अपने आप बंद हो गया। गुफा के दरवाजे को भगवान हनुमान की माता अंजनी ने स्वयं बंद कर लिया, क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा वहां दी गई बलि से वे नाराज थीं और यह गुफा आज भी इसी स्थान पर मौजूद है।
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कहते हैं कि जिस गांव में ये गुफा है उसका नाम आंजन है, जोकि हनुमान की माता अंजनी के नाम पर ही पड़ा था। यह गांव गुमला जिले से लगभग 22 किमी की दूरी पर है। यहां पर एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान हनुमान अपनी माता की गोद में बैठे दिखाई देते हैं और इसकी स्थापना भगवान हनुमान के भक्तों ने 1953 में की थी। इस मंदिर में भगवान हनुमान और माता अंजना की सुंदर मूर्ति है। 
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शास्त्रों में हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है। हनुमान जी के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार अमरत्व की प्राप्ति के लिए जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया तो उससे निकले अमृत को असुरों ने छीन लिया। इसके बाद देव और दानवों में युद्ध छिड़ गया। इसे देख भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया, जिसे देख देवताओं और असुरों के साथ ही भगवान शिव भी कामातुर हो गए। इस दौरान भगवान शिव ने वीर्य त्याग किया। ऐसा माना जाता है कि इसे पवनदेव ने वानरराज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में प्रविष्ट कर दिया। इसके फलस्वरूप माता अंजना के गर्भ से श्री हनुमान का जन्म हुआ।

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