Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Jul, 2020 07:41 AM
शास्त्र गारुड़ी तंत्र, सुदर्शन संहिता और अगस्त्यसंहिता आदि के अनुसार हनुमान जी ज्ञान और विद्या के प्रतीक हैं। मनुष्य को ज्ञान और विद्या प्राप्त करने पर ही उसका आत्मविश्वास स्वतः स्फूर्त हो जाता है और
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Shri ram hanuman ji: शास्त्र गारुड़ी तंत्र, सुदर्शन संहिता और अगस्त्यसंहिता आदि के अनुसार हनुमान जी ज्ञान और विद्या के प्रतीक हैं। मनुष्य को ज्ञान और विद्या प्राप्त करने पर ही उसका आत्मविश्वास स्वतः स्फूर्त हो जाता है। फिर जटिल से जटिल समस्या का समाधान हो जाता है क्योंकि हनुमान जी में ज्ञान और विद्या नैसर्गिक रूप से विद्यमान हैं इसलिए वे ज्ञानगुरू कहलाते हैं। हनुमान चालीसा में उन्हें ज्ञान गुण सागर कहकर संबोधित किया गया है।
हनुमद उपनिषद के अनुसार अज्ञान से त्रस्त व्यक्ति जब हनुमान जी की शरण में भक्ति भाव से लग जाता है, तब उन्हीं की कृपा से व्यक्ति को ज्ञान गुण और आत्मविश्वास प्राप्त हो जाते हैं। हनुमान जी की कृपा चाहते हैं तो पहले श्री राम के नाम का जप करें। इस पाठ से बहुत शीघ्र प्रसन्न होते हैं हनुमान।
वैसे तो इसका पाठ प्रतिदिन करना चाहिए, संभव न हो तो मंगलवार और शनिवार को जरूर करें।
Shri ram stuti: राम स्तुति
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम् ।
नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कन्जारुणम ॥1॥
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम ।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमी जनक सुतावरम् ॥2॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम् ।
रघुनंद आनंदकंद कौशलचंद दशरथ नन्दनम ॥3॥
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारू उदारु अंग विभुषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धुषणं ॥4॥
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनम् ।
मम् हृदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम् ॥5॥
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरों ।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो ॥6॥
एही भांती गौरी असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली ।
तुलसी भवानी पूजि पूनि पूनि मुदित मन मंदिर चली ॥7॥
दोहा- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ॥