Kundli Tv- हरियाली अमावस्या: जानें, कौन भरेगा आपका पर्स

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Aug, 2018 11:19 AM

hariyali amavasya

आज हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन शनिवार होने के कारण शनि अमावस्या भी है। अतः यह पर्व शनिवारीय हरियाली अमावस्या कहा जाएगा। अमावस्या तिथि मूलतः पितृओं को समर्पित है परंतु शास्त्रों में सावन महीने में पड़ने वाली अमावस्या तिथि का सर्वाधिक...

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PunjabKesariआज हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन शनिवार होने के कारण शनि अमावस्या भी है। अतः यह पर्व शनिवारीय हरियाली अमावस्या कहा जाएगा। अमावस्या तिथि मूलतः पितृओं को समर्पित है परंतु शास्त्रों में सावन महीने में पड़ने वाली अमावस्या तिथि का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। यह पर्व प्रकृति पर आई हरियाली हेतु मनाया जाता है। हरियाली अमावस पर वृक्ष पूजन व वृक्षारोपण का अधिक महत्व है। शास्त्रनुसार एक पे़ड दस पुत्रों के समान होता है। शास्त्रों में वृक्षों में देवताओं का वास बताया गया है। 

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मनुस्मृति के अनुसार वृक्ष योनि पूर्व जन्मों के कर्मों के फलस्वरूप मानी गयी है। शास्त्रनुसार पीपल में त्रिदेव का वास होता है। आंवले में लक्ष्मीनारायण का वास होता है। केले में स्वयं हरी का वास होता है। बिल्व में त्रिपुरा सुंदरी का वास होता है। तुलसी में लक्ष्मी का वास होता है तथा वटवृक्ष अर्थात बरगद में स्वयं परमेश्वर शिव और शनिदेव का वास होता है। इसलिए इस दिन विशेषकर पीपल और बरगद के पूजन का अत्यधिक महत्व है। शास्त्रों में अमावस्या को शनिदेव की जन्म तिथि कहा गया है। 

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शिव-शंकर को गुरु और शनिदेव को शिष्य माना जाता है। शनि सभी नवग्रहों में न्यायधीश का विशेष पद प्राप्त है। शनिदेव ही व्यक्ति के सभी अच्छे-बुरे कर्मों का फल प्रदान करते हैं। साढ़ेसाती व ढैय्या के काल में शनि राशि विशेष के लोगों को उनके कर्मों का फल देते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में समय-समय पर रोग, कष्ट व्याधि, पीड़ा और समस्याएं आती ही रहती हैं। 

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आज कल अत्यधिक लोग शनि के प्रभावों से पीड़ित हैं। कभी शनि की साढ़ेसाती, कभी ढईया कभी महादशा और कभी अंतर्दशा। अगर शनिवारीय हरियाली अमावस्या को पूरे विधि विधान से बरगद या पीपल के नीचे शिव और शनिदेव का विधिवत पूजन किया जाए तो शनिदेव प्रसन्न होकर जीवन के सारे कष्ट हर लेते हैं। इस दिन के विशेष व्रत, पूजन व उपाय से वाद-विवाद में जीत मिलती है, शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है तथा आमदनी में बढ़त होती है। 

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स्पेशल पूजन विधि: बरगद या पीपल के पेड़ का विधिवत पूजन करें। बरगद या पीपल के पेड़ की जड़ में दही की मीठी लस्सी चढ़ाएं, जल में तिल मिलाकर सींचे। पेड़ के नीचे तिल के तेल का दीप करें, लोहबान से धूप करें, नीले व सफ़ेद कनेर के फूल चढ़ाएं, काजल व सिंदूर चढ़ाएं, नारियल चढ़ाएं व गुड़ तिल से बनी रेवड़ियों का भोग लगाएं। तथा पेड़ पर मौली बांधते हुए 15 परिक्रमा लगाएं। इस विशेष मंत्र को 108 बार जपें। इसके बाद फल व भोग किसी गरीब तो बांट दें।


स्पेशल वृक्ष मंत्र: ॐ तरुराजे नमः॥

स्पेशल शनि मंत्र: शं शनैश्चराय कर्मकृते नमः॥

स्पेशल मुहूर्त: सुबह 10:48 से दिन 11:48 तक।

गुड हैल्थ के लिए: शनिदेव पर दूध में काले तिल मिलाकर चढ़ाएं। 

गुडलक के लिए: शनिदेव पर लोहबान से धूप करें। 

विवाद टालने के लिए: शनि मंदिर में सरसों के तेल का 6 मुखी दीपक करें। 

नुकसान से बचने के लिए: शनिदेव पर बरगद के पत्तों की माला चढ़ाएं।

प्रॉफेश्नल सक्सेस के लिए: शनि मंदिर में सिक्का चढ़ाकर जेब में रखें। 

एजुकेशन में सक्सेस के लिए: शनिदेव पर चढ़ा पीपल का पत्ता टेक्स्ट बुक में रखें। 

बिज़नेस में सफलता के लिए: शनि मंदिर में नारियल चढ़ाएं। 

पारिवारिक खुशहाली के लिए: तिल कर्पूर से जलाकर घर में धूप करें।

लव लाइफ मे सक्सेस के लिए: 5 लौंग जेब में रखें। 

मैरिड लाइफ में सक्सेस के लिए: पति-पत्नी शनि मंदिर जाकर तेल चढ़ाएं।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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