Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Jul, 2019 03:20 PM
एक बार एक महात्मा ने अपने शिष्यों से कहा कि वे कल प्रवचन में अपने साथ एक थैले में कुछ आलू भरकर लाएं। साथ ही निर्देश भी दिया कि उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए
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एक बार एक महात्मा ने अपने शिष्यों से कहा कि वे कल प्रवचन में अपने साथ एक थैले में कुछ आलू भरकर लाएं। साथ ही निर्देश भी दिया कि उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए जिनसे वे नफरत करते हैं। अगले दिन किसी शिष्य ने 4 आलू, किसी ने 6 तो किसी ने 8 आलू लाए। प्रत्येक आलू पर उस व्यक्ति का नाम लिखा था जिससे वे नफरत करते थे।
अब महात्मा जी ने कहा कि अगले 7 दिनों तक आप लोग ये आलू हमेशा अपने साथ रखें। शिष्यों को कुछ समझ में नहीं आया कि महात्मा जी क्या चाहते हैं, लेकिन सबने आदेश का पालन किया। 2-3 दिनों के बाद ही शिष्यों को कष्ट होने लगा, जिनके पास ज्यादा आलू थे वे बड़े कष्ट में थे। किसी तरह उन्होंने 7 दिन बिताए और महात्मा के पास पहुंचे।
महात्मा ने कहा, ‘‘अब अपनी-अपनी थैलियां निकाल कर रख दें।’’
शिष्यों ने चैन की सांस ली। महात्मा जी ने विगत 7 दिनों का अनुभव पूछा। शिष्यों ने अपने कष्टों का विवरण दिया। उन्होंने आलुओं की बदबू से होने वाली परेशानी के बारे में बताया। सभी ने कहा कि अब बड़ा हल्का महसूस हो रहा है।
महात्मा ने कहा, ‘‘जब मात्र 7 दिनों में ही आपको ये आलू बोझ लगने लगे तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या या नफरत करते हैं आपके मन पर उनका कितना बड़ा बोझ रहता होगा और उसे आप जिंदगी भर ढोते रहते हैं। सोचिए ईर्ष्या के बोझ से आपके मन और दिमाग की क्या हालत होती होगी। ईर्ष्या के अनावश्यक बोझ के कारण आप लोगों के मन में भी बदबू भर जाती है, ठीक उन आलुओं की तरह इसलिए अपने मन से इन भावनाओं को निकाल दो। यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत मत करो। आपका मन स्वच्छ, निर्मल और हल्का रहेगा।’’