इस गुफा में रखा था भोलेनाथ ने गणेश जी का कटा हुआ सिर, जानें इससे जुड़ा रहस्य

Edited By Jyoti,Updated: 17 Feb, 2019 04:59 PM

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हिंदू धर्म के लोगों को इतना तो पता ही होगा कि भोलेनाथ ने क्रोध में आकर अपने ही पुत्र गणेश जी का सिर काट कर फेंक दिया था। जब उनका गुस्सा ठंडा हुआ तो उन्होंने गणेश से धड़ हाथी के बच्चे का सिर लगा दिया था।

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हिंदू धर्म के लोगों को इतना तो पता ही होगा कि भोलेनाथ ने क्रोध में आकर अपने ही पुत्र गणेश जी का सिर काट कर फेंक दिया था। जब उनका गुस्सा ठंडा हुआ तो उन्होंने गणेश से धड़ हाथी के बच्चे का सिर लगा दिया था। ये ऐसी बातें हैं जिसके बारे में लगभग सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप में से किसी को ये पता है भगवान संकर द्वारा काट कर गिराया गणेश जी का मस्तक बाद में कहां रखा गया और आज के समय में क्या वो है या नहीं। अगर नहीं तो हम आपको आज यहीं बताने वाले हैं, आखिर शिव जी ने गणेश जी के कटे सिर का क्या किया था।  शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को हाथी के बच्चे का सिर लगने से एक नई पहचान तो मिल गई थी लेकिन उनके असली शीश आज तक एक ऐसी जगह पर महफूस पड़ा है, जिसके साथ बहुत से रहस्य जुड़े हुए हैं। तो चलिए देर न करते हुए आपको बताते हैं उस रहस्यमयी जगह के बारे में-
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मान्यताओं के अनुसार भोलेनाथ ने अपने पुत्र गणेश के कटे हुए सिर को उत्तराखंड की एक गुफा में रख दिया था। बता दें ये गुफा उत्तारखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है, जिसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसका वर्णन स्कंद पुराण में भी पढ़ने को मिलता है। कहते हैं कि यहां गणेश जी के कटे हुए सिर के इनकी एक मूर्ति स्थापित है जिसे आदिगणेश कहा जाता है। पिथौरागढ़ की ये गुफ़ा अब तक यहं को लोगों के साथ-साथ अन्य देशों से आने वाले भक्तों की भी आस्था का केंद्र है। बता दें कि गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फुट अंदर है। कुछ लोगों का कहना है कि इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य द्वारा की गई थी।
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पाताल भुवनेश्वर नामक इस गुफा में भगवान गणेश की कटी शिला रूपी प्रतिमा  के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। कहते हैं  इस ब्रह्मकमल से गणपति के शिलारूपी मस्तक पर जल की दिव्य बूंद हमेशा टपकती रहती हैं। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई पड़ती है। ऐसी मान्यता प्रचलित है कि ये ब्रह्मकमल भगवान शिव ने स्वयं यहां स्थापित किया था।
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कहते हैं यहीं पर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। जहां बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं इनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश और गरुड़ शामिल हैं। वहीं तक्षक नाग की आकृति भी इस गुफा में बनी चट्टान में नज़र आती है। इसी के ऊपर बाबा अमरनाथ की भी गुफा है और पत्थर की बड़ी-बड़ी जटाएं फैली हुई हैं। तो वहीं कालभैरव की जीभ के दर्शन भी होते हैं, जिसके बारे में मान्यता है कि अगर मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश करके पूंछ तक पहुंच जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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