रामेश्वरम धाम: यहां श्रीराम ने स्थापित किया था रेत का शिवलिंग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 12:55 PM

here shriram had established the shivalinga of the sand

रामेश्वरम धाम, (तिलक): जीओ सत्संग सद्भावना यात्रा गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के सानिध्य में तीसरे दिन रविवार को सभी श्रद्धालु रामेश्वरम धाम पहुंचे। स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने भारत के दक्षिण छोर में स्थित यह धाम अनेक दृष्टियों से...

रामेश्वरम धाम, (तिलक): जीओ सत्संग सद्भावना यात्रा गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के सानिध्य में तीसरे दिन रविवार को सभी श्रद्धालु रामेश्वरम धाम पहुंचे। स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने भारत के दक्षिण छोर में स्थित यह धाम अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। एक तो भारतीय सनातन परंपरा में चारों धामों में रामेश्वरम धाम प्रमुख स्थान है यही वह स्थान है जहां समुद्र के किनारे बालू का शिवलिंग बनाकर भगवान राम ने शिव आराधना की और लंका रूपी दुष्वृत्तियों पर विजय प्राप्त करने का संकल्प लिया। उन्होंने बताया कि यही से ही प्रारंभ हुआ था रामसेतु का निर्माण जिसके माध्यम से भगवान राम, लक्ष्मण और पूरी वानर सेना लंका तक पहुंच गई। वस्तुत: यह धाम एक दिव्य सद्भावना का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है। गीता मनीषी ने कहा कि सनातन उपासना में वैष्णव और शैव दो अलग-अलग पूजा पद्वतियां मानी जाती हैं। 

 

भगवान राम ने शिव उपासना द्वारा यहां यह सिद्ध किया कि मूलत: दोनों में किसी भी प्रकार का कोई भेद नहीं है। राम शिव को अपना इष्ट मानते हैं और भगवान शिव भगवान राम को अपना इष्ट मानते हैं। रामेश्वरम धाम के महापुरुष दोनों ही अर्थ लेते हैं जिनके ईश्वर राम है वो रामेश्वरम् या राम जिन्हें अपना ईश्वर मानते हैं वो रामेश्वरम्। उन्होंने कहा कि यदि सांस्कृतिक सद्भावना की भी दृष्टि से देखें तो रामेश्वरम् धाम पूरे देश को दक्षिण भारत से जोडने के एक प्रधान आस्था केंद्र है। उत्तर, पूर्व, पश्चिम हर क्षेत्र के श्रद्धालु धाम दर्शन के रूप में आते हैं और भारत की एकरूपता और अनेकता में एकता की दिव्य संस्कृति को देखकर आानंदित होते हैं।

 

इस यात्रा में स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के सानिध्य में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त बंगलौर, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल आदि प्रांतों के भी सैंकड़ों भक्त सत्संग के साथ सद्भावना यात्रा का आनंद ले रहे हैं। महाराज श्री के साथ आए ब्रह्मचारी मनमोहन वासुदेव पंजाब से सुदर्शन अग्रवाल, अंबाला से केवल चावला, पार्थ वालिया, केशव चावला, रमेश सचदेवा, पुनीत गुलाटी, यमुनानगर से भारत भूषण बंसल, हिसार से दयानंद बैनीवाल, मोहाली से मुकेश मित्तल, पिहोवा से जगदीश तनेजा, कुरुक्षेत्र से हंसराज सिंगला ने जीओ गीता सत्संग सद्भावना यात्रा का नेतृत्व किया। सोमवार रात्रि को यात्रा अपने अगले पड़ाव कन्याकुमारी पहुंचेगी।
 

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