Holashtak 2022: होलाष्टक के दिनों में रहें सावधान, बुरी शक्तियां जाती हैं जाग

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Mar, 2022 08:10 AM

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होलाष्टक से अभिप्राय ऐसे आठ दिनों से है, जिसमें लगभग सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं। नकारात्मक उर्जा से भरे इन आठ दिनों के समुह को ही होलाष्टक कहा गया है। फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पुर्णिमा तक

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Holashtak 2022 start and end date: होलाष्टक से अभिप्राय ऐसे आठ दिनों से है, जिसमें लगभग सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं। नकारात्मक उर्जा से भरे इन आठ दिनों के समुह को ही होलाष्टक कहा गया है। फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर पुर्णिमा तक होलाष्टक रहता है। इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, कोई भी नया कार्य या कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। होलाष्टक तिथि का आरम्भ 10 मार्च 2022 दिन बुधवार प्रातःकाल 2 बजकर 58 मिन्ट से होगा और होलाष्टक समाप्ति 18 मार्च 2022 दिन गुरूवार रात्रि 12 बजकर 49 मिन्ट पर होगा। होलाष्टक की समाप्ति, होलिका दहन की तैयारी से ही आरम्भ हो जाती है। होलिका दहन 17 मार्च 2022 दिन गुरूवार को होगा और घुलंडी अर्थात होली खेलने का कार्यक्रम 18 मार्च 2022 दिन शुक्रवार को होगा।

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Holashtak 2022 me kya na karein: सत्य सनातन धर्म में होली का एक विशेष स्थान है परन्तु इस दौरान शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार इस दौरान कई ग्रह उग्र रूप में होकर नकारात्मक प्रभाव प्रदान करते हैं। वातावरण में भी काफी नकारात्मकता रहती है तथा कई प्रकार की तांत्रिक शक्तियां जागृत अवस्था में आ जाती हैं। हमारा विज्ञान भी यह कहता है कि इस दौरान मौसम भी अजीब तरह का हो जाता है। जिससे कि लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस दौरान ऐसे कार्य करने चाहिए, जिससे कि मन आनंदित हो। 

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Holika And Prahlad Story: होलाष्टक के इन आठ दिनों के दौरान ही राक्षस राज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को श्रीहरि विष्णु जी की भक्ति से दूर करने के लिये विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी थी परन्तु प्रहलाद का कुछ न बिगड़ पाया था। फिर उसे आंठवें दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका की गोद में प्रहलाद को जलाने का प्रयास किया गया क्योंकि होलिका को ब्रह्मा जी से अग्नि में न भस्म होने का वरदान प्राप्त था। होलिका ने अपने वरदान का दुरुपयोग किया और श्रीहरि की कृपा से होलिका भस्म हो गयी और प्रहलाद उस अग्नि से सुरक्षित बाहर आ गया। इन आठों दिनों को अशुभ माना जाता है। वहीं दूसरी और फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन ही कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने का प्रयास किया और शिव जी ने अपने तीसरे नेत्र से इसी ही दिन कामदेव को भस्म कर दिया था। इन आठ दिनों में सभी शुभ कार्य वर्जित होते हैं। 

Holashtak 2022: होलिका दहन की रात्रि को सिद्धिदायक रात्रि माना जाता है। इस रात्रि में तंत्र, मंत्र व साधनाओं का विशेष रूझान होता है क्योंकि इस रात्रि में सम्पन्न की गयी छोटी साधना एवं प्रयोग भी जीवन को बदलने की क्षमता रखते हैं। यह पर्व नई सिद्धियां प्राप्त करने का भी एक उत्तम समय होता है और पुरानी सिद्धियों को और शक्तिशाली बनाने का भी यही समय होता है। 

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Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

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