Edited By Lata,Updated: 25 Feb, 2020 11:11 AM
फाल्गुन मास में होली का त्योहार बहुत ही खास होता है और होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है,
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फाल्गुन मास में होली का त्योहार बहुत ही खास होता है और होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, जिसे बहुत से स्थानों पर छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस साल होलिका दहन 09 मार्च को होगा। इस दिन बहुत सी बातों को ध्यान में रखा जाता है। जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
होलिका दहन के वक्त सभी लोग आग में आहुति देते हैं। होलिका में नारियल, भुट्टे, कच्चे आम, गेहू, उड़द, मूंग, चावल, जौ आदि की आहुति दी जाती है। मान्यता है कि होलिका दहन के दौरान दी गई आहुति व्यक्ति के जीवन से परेशानी खत्म करती है।
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कैसे करें होलिका दहन
होलिका दहन पूजा विधि के मुताबिक होलिका के पास पूरब या उत्तर दिशा में मुंह रखकर बैठना चाहिए। जल, फूल-माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि एकत्र कर लें।
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होलिका दहन में नई फसल की बलियों जैसे- पके चने की बालियां, गेंहूं की बालियां भी पास में रखें। इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल और अन्य खिलौने रखें।
होलिका दहन के शुभ मुहूर्त पर जल, मौली, फूल, गुलाल और गुड़ से होलिका की पूजा करें।इसके बाद कच्चे सूत को होलिका के चारों और तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें। फिर शुद्ध जल और अन्य पूजन की सभी वस्तुओं को एक-एक करके होलिका को समर्पित करें। पूजन के बाद जल से अर्ध्य दें।
सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्जवलित करें। मान्यता है कि होलिका की बची हुई आग और राख को अगले दिन सुबह घर में लाने से सुख-सौहार्द का वातावरण बना रहता है।