Edited By Jyoti,Updated: 28 Feb, 2020 02:17 PM
साल 2020 में होली का त्यौहार 10 मार्च यानि फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ रहा है। जो प्रत्येक वर्ष इसी तिथि को मनाया जाता है। जैसे कि आप लोग जानते ही होंगे हिंदू धर्म का ये प्रमुख त्यौहार रंगों के लिए प्रसिद्ध है।
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साल 2020 में होली का त्यौहार 10 मार्च यानि फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ रहा है। जो प्रत्येक वर्ष इसी तिथि को मनाया जाता है। जैसे कि आप लोग जानते ही होंगे हिंदू धर्म का ये प्रमुख त्यौहार रंगों के लिए प्रसिद्ध है। इस दिन हर कोई रंगों में घुल जाता है। तो वहीं होली का ये पर्व हर किसी के मन से गिले-शिकवे भुला देता है और चारों ओर प्यार की बरसात करता है। इस त्यौहार को लेकर विभिन्न तरह की मान्यताएं समाज में प्रचलित हैं।
अगर बात धार्मिक मान्यताओं की करें तो के पुत्र अपने भतीजे प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर जल्दी हुई आग में बैठ गई थी। जिस दौरान विष्णु भक्त प्रह्लाद को कोई नहीं नुकसान नहीं हुआ था और होलिका जल कर राख हो गई थी। मान्यता है इसी दिन से बुराई पर अच्छाई की विजय के तौर पर इस दिन को मनाया जाने लगा। यही कारण है कि होली दो दिन मनाई जाती है जिसमें पहले दिन रात में होलिका दहन होता है तो दूसरे दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली का ये पर्व मनाते हैं।
मगर आपको बता दें देश के कई अन्य स्थलों पर होली का ये त्यौहार अलग तरीके से मनाया जाता है। इनमें से सबसे खास है लठमार होली। जो खेली जाती है बरसाने में। यहां की सबसे खास बात ये है कि यहां होली का त्यौहार 8 दिन पहले ही फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन से आरंभ हो जाता है।
यहां प्रचलित किंवदंतियों की मानें तो ब्रज में होली पर्व की शुरुआत वसंत पंचमी के दिन से ही हो जाती है। इस दिन यहां के यानि ब्रज के सभी मंदिरों और चौक-चौराहों पर होलिका दहन के स्थान पर होली का प्रतीक एक लकड़ी का टुकड़ा गाड़ दिया जाता है और लगातार 45 दिनों तक ब्रज के सभी प्राचीन मंदिरों में प्रतिदिन होली के प्राचीन गीत गए जाते हैं।
बताया जाता है फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन लड्डूमार होली से इस प्राचीन पर्व की शुरुआत होती है। जिसके बाद फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन से लठमार होली की शुरुआत होती है, जो होली का त्यौहार खत्म होने तक लगातार चलता है।
न केवल बज्र में बल्कि पूरे विश्वभर में बरसाना की लठमार होली में मशहूर हैं। जिसमें (हुरियारिनें) महिलाएं, पुरुषों (हुरियारों) के पीछे अपनी लाठी लेकर भागती हैं और लाठी से मारती हैं। हुरियारे खुद को ढाल से बचाते हैं। इस लठमार होली का आनंद उठाने के लिए दुनियाभर से लोग यहां आते हैं।
इन स्वरों की गूंज के साथ शुरू होता लठमार होली की पर्व-
फाग खेलन बरसाने आए हैं
होरी खेलन आयो श्याम आज याहि रंग में बोरौ री...