Holika Dahan 2020: शुभ मुहूर्त के साथ जानें जरूरी जानकारी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Mar, 2020 10:41 AM

holika dahan 2020

होली हमारा एक प्रमुख त्यौहार है। लोग बड़ी उत्सुकता से उसकी प्रतीक्षा करते हैं। होली की एक अलग ही उमंग और मस्ती है। जो लोगों के दिल में गुदगुदी और रोमांच भर देती है। भारत की संस्कृति में

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होली हमारा एक प्रमुख त्यौहार है। लोग बड़ी उत्सुकता से उसकी प्रतीक्षा करते हैं। होली की एक अलग ही उमंग और मस्ती है। जो लोगों के दिल में गुदगुदी और रोमांच भर देती है। भारत की संस्कृति में त्यौहारों एवं उत्सवों का आदिकाल से ही काफी महत्व रहा है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां मनाए जाने वाले सभी त्यौहार समाज में प्रेम, एकता एवं सद्भावना को बढ़ाते हैं। त्यौहारों का संबंध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है। 

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फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला होली का पर्व, बसंत का संदेशवाहक तथा भारतीय  संस्कृति में  सर्वाधिक लोकप्रिय त्यौहार है। होली पर्व को फाल्गुनी के नाम से भी संबोधित किया जाता है, जिसका अर्थ है, फाल्गुन मास की पूर्णिमा। भारत में पाई जाने वाली छ: ऋतुओं में बसंत ऋतु को ऋतुराज कहा गया है। भगवान श्रीकृष्ण  गीता जी में स्वयं कहते हैं, ‘‘अहम् ऋतुनां कुसुमाकर:।’’ ऋतुओं में बसंत मैं हूं।

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जब शीत ऋतु में जड़त्व को प्राप्त हुई प्रकृति बसंत ऋतु में प्रवेश करती है, तब प्रकृति का  सौदर्य अकस्मात बढ़ जाता है। मादकता से पूर्ण प्रकृति अपने यौवन की चरम अवस्था पर होती है।  प्रकृति का माधुर्य सबको आनंद प्रदान करता है। होली पर्व है ही अपने उस आनंद को प्रकट करने का। खेतों में गेहूं की बालियां भी अपनी परिपक्व अवस्था में पहुंच कर लहलहाने लगती हैं।

रंगों के उत्सव होली से एक दिन पहले रात को होलिका दहन किया जाता है। ये दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का दिन है। जैमिनी सूत्र के अनुसार इसका आरम्भिक शब्द रूप ‘होलाका’ कहा गया है। इसके अलावा हेमाद्रि, कालविवेक के पन्ना नंबर 106 पर होलिका को ‘हुताशनी’ बताया गया है। लिंगपुराण के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा को ‘फाल्गुनिका’ कहते हैं। हिंदू शास्त्रों में इस खास दिन को भक्त प्रहलाद की जीत के साथ जोड़ा जाता है।

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होलिका दहन:  ढोल नगाड़ों के साथ करें होलिका दहन
हिंदू धर्म में किसी भी पर्व-त्योहार को मुहूर्त शुद्धि के अनुसार ही मनाए जाने का विधान है। होलिका दहन कभी भी भद्रा में नहीं करना चाहिए। शास्त्रों कहते हैं होलिका दहन प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा में भ्रद्रारहित काल में करना चाहिए। दिनांक 9 मार्च 2020 पूर्णमासी सोमवार को सायंकाल सिंह लग्र, चर चौघडिय़ां से होली का दहन करना शुभ फलदायी होगा। भद्रा दिन में 1-15 (सवा एक बजे) तक रहेगी।

होलिका दहन मुहूर्त 9 मार्च 18:23 से 20:50 बजे तक मुहूर्त की अवधि 2 घंटे 30 मिनट
भद्रा पूंछ 09:37 से 10:38
भद्रा मुख 10:38 से 12:19
रंग वाली होली तिथि 10 मार्च 2020
पूर्णिमा तिथि आरम्भ 9 मार्च, 2020 को 03:00 बजे से पूर्णिमा तिथि समाप्त 9 मार्च, 2020 को 23:18 बजे 

होली दहन के आरंभ से लेकर अंत तक ध्वनि, ढोल या शहनाई का बजते रहना शुभ माना जाता है। ढोल नगाड़ों के साथ होलिका दहन करना चाहिए।

होली की रात्रि में अनेक तांत्रिक अनुष्ठान भी होते हैं। होली की रात में वशीकरण, मारण, मोहन एवं उच्चाटन, तंत्र-निवारण एवं व्यापार वृद्धि प्रयोग कर्म तत्काल सिद्ध होते हैं।

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