परिवार के साथ बुढ़ापा अच्छे से व शांति से काटने के लिए कुछ मंत्र

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Mar, 2018 07:52 AM

home sweet home and old age

परिवार समाज की महत्वपूर्ण इकाई है, जिसके अभाव में जीवन काटना असंभव है। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। जवानी में तो परिवार का साथ व्यक्ति को बंदिश लगता है लेकिन बुढ़ापा जीवन का वह ठहराव है।

परिवार समाज की महत्वपूर्ण इकाई है, जिसके अभाव में जीवन काटना असंभव है। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। जवानी में तो परिवार का साथ व्यक्ति को बंदिश लगता है लेकिन बुढ़ापा जीवन का वह ठहराव है। जब उसे अपनो के साथ की अधिक अवश्यकता होती है। याद रखें, खाली हाथ आए थे खाली हाथ ही जाना है। प्रेम से रहकर सबसे रिश्ता निभाना है। इंसान की सोच अगर तंग हो जाती है, तो यह खूबसूरत जिंदगी भी एक जंग हो जाती है। परिवार के साथ बुढ़ापा अच्छे से व शांति से काटने के लिए अपनाएं कुछ मंत्र-


कम बोलिए, जरूरत न हो तो बिल्कुल मत बोलिए।


मनचाही वस्तु न मिलने पर क्रोध न करें।


अपनी धन-सम्पत्ति का बार-बार बखान न करें।


बहू-बेटियों के कार्य में दखल न दें, बल्कि अपने स्वास्थ्य के सामर्थ्य के अनुसार बहू-बेटियों के कार्य में सहयोग करें।


यह आशा न करें कि बहू-बेटे हर काम मुझसे पूछ कर करें।


अपनी जिंदगी एक रुटीन में जिएं ताकि परिवार वाले अच्छी तरह आपकी देखभाल कर सकें।


खाने-पीने में संतोषी रहें। जो मिल जाए प्रभु का प्रसाद समझकर ग्रहण करें और प्रभु का धन्यवाद करें।


किसी पर अपनी इच्छा थोपने की कोशिश न करें। न ही अपनी हर बात मनवाने की जिद करें।


दिन भर बीमारी का रोना न रोएं। बुढ़ापे के कष्ट व बीमारी को कर्मफल समझकर खुशी-खुशी सहन करें।


हर काम होने में समय लगता है। अत: बोलते ही मेरा काम हो जाए इसके लिए शोर न मचाएं।


घर पर आए किसी भी व्यक्ति से अपने घर की एवं घर के लोगों की कोई बुराई न करें। नहीं तो यह आदत बन जाएगी।


जो भी बात किसी से पूछनी हो एकदम संक्षेप में पूछें। बार-बार एक ही बात पूछने पर लोग आप पर ध्यान देना कम कर देंगे।


बहू-बेटियों के कटु वचन सुनकर शांत हो जाएं और कोई प्रत्युत्तर न दें। बहू-बेटियों तथा उनके बच्चों से स्नेह व प्रेम का व्यवहार करें।


प्रभु का स्मरण अवश्य करते रहें। प्रसन्न व आनंद में रह कर बुढ़ापे का जीवन जिएं।


अपने परिवार की समस्याएं दूसरों के सामने न रखें और न ही किसी की शिकायत करें।


अपने बीते दिनों के गुणगान एवं अपनी तारीफ रात-दिन न करें।


परिवार के लोग मन से आपकी बीमारी का इलाज करा रहे हैं तो उसमें सहयोग करें एवं अपनी दखलअंदाजी न करें। 


प्राकृतिक जीवनशैली अपनाएं एवं खाने-पीने में पूरा परहेज करें।


बच्चों के उम्रदराज होने पर उनके बताने व जानकारी देने को ही उनके द्वारा पूछना ही समझें।

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