Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 May, 2020 11:46 AM
घर, परिवार या आपसी रिश्तों में छोटी-मोटी अनबन सामान्य बात है और ऐसा होना स्वाभाविक भी है परंतु जब किसी घर या परिवार या रिश्ते में ज्यादा अनबन, लड़ाई झगड़े या मनमुटाव होने लगे तो यह एक असामान्य तत्व है जिस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Tips For A Happier Family Relationship: घर, परिवार या आपसी रिश्तों में छोटी-मोटी अनबन सामान्य बात है और ऐसा होना स्वाभाविक भी है परंतु जब किसी घर या परिवार या रिश्ते में ज्यादा अनबन, लड़ाई झगड़े या मनमुटाव होने लगे तो यह एक असामान्य तत्व है जिस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
आखिर ऐसे क्या कारण होते हैं जो क्लेश को जन्म देते हैं और इन कारणों के लिए जिम्मेदार किसे ठहराया जाना चाहिए। किसी भी गृह क्लेश या रिश्तों में मनमुटाव के लिए कोई भी एक व्यक्ति अकेला जिम्मेदार नहीं होता। गृह क्लेश या मनमुटाव के लिए अधिकांशतः एक से अधिक व्यक्ति जिम्मेदार होते हैं।
व्यक्ति की कुछ आदतें जो उसे स्वयं भी कभी-कभी पता नहीं होती गृह क्लेश या मनमुटाव को जन्म देती हैं। जानकारी एवं अनुभव के आधार पर निम्नलिखित तत्व गृह क्लेश या मनमुटाव का कारण बनते हैं।
आलस्य, स्वार्थ, उम्र का अंतर, निजी इच्छाएं, स्वतंत्रता में बाधा, बराबरी, बाहरी प्रदर्शन, अनावश्यक सुझाव, विचारों में अंतर, अनियंत्रित आवश्यकताएं या इच्छाएं आदि।
कुछ लोग आलसी होते हैं वे स्वयं अपना कार्य समय पर पूरा नहीं करते एवं दूसरों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे लोग अपना कार्य स्वयं करना नहीं चाहते बल्कि दूसरों से करवाना चाहते हैं। ऐसे में दूसरे व्यक्तियों पर अतिरिक्त भार पड़ने लगता है, जिसके कारण वे चिड़चिड़े हो जाते है और क्लेश जन्म लेने लगता है। आलस्य गृह क्लेश का मुख्य कारण होता है।
कुछ लोग स्वभाव से स्वार्थी प्रवृत्ति के होते हैं जो हमेशा सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं। स्वार्थी प्रवृत्ति के लोगों के कारण दूसरे लोगों को हानि उठानी पड़ती है या असुविधा का सामना करना पड़ता है जिससे रिश्तों में खटास पैदा होती है।
गृह क्लेश का एक अन्य प्रमुख कारण होता है उम्र का अंतर। उम्र में अंतर के कारण व्यक्ति की सोच में भी अंतर होता है। उम्रदराज लोग जीवन में प्राप्त अपने कटु अनुभव के आधार पर सोचते हैं एवं निर्णय लेते हैं और युवा पीढ़ी उत्साह एवं जोश के आधार पर। ऐसी परिस्थिती में आपसी सामंजस्य बिठाना बहुत मुश्किल हो जाता है जिससे परिवार या रिश्तों में एक दूसरे के प्रति विरोध के भाव जन्म लेते हैं जो गृह क्लेश का प्रमुख कारण बनते हैं।
कुछ लोगों की आदत होती है की वह अपनी इच्छाएं एवं सिद्धांत दूसरों पर थोप देते हैं जिससे अन्य व्यक्तियों को ऐसे व्यक्तियों के कारण स्वतंत्रता का अभाव अनुभव होता है। ऐसा लगातार जारी रहने पर अन्य व्यक्ति धीरे-धीरे विरोध करना शुरु करते हैं जिससे क्लेश जन्म लेता है एवं रिश्तों में मनमुटाव होना शुरु हो जाता है।
कुछ लोग दूसरों की बराबरी एवं बाहरी प्रदर्शन करना पसंद करते हैं जो उनकी आदत हो जाती है। ऐसा करते समय ऐसे लोग अपनी आय, स्थिती एवं परिस्थिती का भी ध्यान नहीं रखते हैं। ऐसा करने वाले लोगों की वजह से पारिवारीक आर्थिक तंत्र पर बुरा असर पड़ता है, जिससे छोटी-छोटी बातों पर परिवार में अनबन शुरु हो जाती है।
कुछ लोग दूसरों को अनावश्यक रुप से सुझाव देते हैं। सामने वाला व्यक्ति सुझाव नहीं भी मांगे या नहीं भी मानें तो भी ऐसे लोग जबरन ही अपने सुझाव देते रहते हैं। ऐसे लोगों की वजह से परिवार में तनाव का माहौल बनता है जो क्लेश को जन्म देता है। कुछ लोग अपनी आवश्यकताओं एवं इच्छाओं पर नियत्रंण नहीं रख पाते। परिस्थितियां कैसी भी हो ऐसे लोग चाहते हैं कि इनकी आवश्यकता हमेशा पूरी होनी चाहिए। इस तरह के लोगों का परिवार मे विरोध होना शुरु हो जाता है जो मनमुटाव का कारण बनता है।
कुछ व्यक्ति अनावश्यक रुप से दूसरे व्यक्तियों को टोकते रहते हैं। बार-बार ऐसा करने पर दूसरे व्यक्ति ऐसे लोगों का विरोध एवं प्रतिरोध करना शुरु कर देते हैं।
गृह क्लेश की रोकथाम का सबसे अच्छा तरीका है स्वयं की आदतों को पहचानकर उनमें परिवर्तन करना एवं गलतियों को सुधारना। यदि प्रत्येक व्यक्ति ऐसा करे तो परिवार एवं रिश्तों में मनमुटाव बहुत कम किए जा सकते हैं।