जन्म कुंडली दिखाते समय रखें ध्यान, तभी जान पाएंगे भविष्य की सटीक जानकारी

Edited By ,Updated: 22 Dec, 2016 10:43 AM

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फलादेश में अंतर क्यों? आपकी जन्म कुंडली की ग्रह स्थिति के अनुसार वैसा क्यों नहीं होता, जो कुंडली में लिखा है। इसका सीधा-सा उत्तर है कि प्रत्येक व्यक्ति की

फलादेश में अंतर क्यों?
आपकी जन्म कुंडली की ग्रह स्थिति के अनुसार वैसा क्यों नहीं होता, जो कुंडली में लिखा है। इसका सीधा-सा उत्तर है कि प्रत्येक व्यक्ति की जन्म कुंडली और ग्रह स्थित पर उसके परिवार के सदस्यों के ग्रहों का भी प्रभाव पड़ता है क्योंकि हर इंसान जन्म लेने के साथ ही अपना भाग्य लेकर भी आता है। जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली देखते हैं, तब उस समय जो कुंडली से बताया जाता है, वैसी घटना व्यक्ति के जीवन में 60 से 70 प्रतिशत तक घटित होती है। कुंडली में कुछ घटनाएं 50 प्रतिशत तक घटित होती हैं।


हर व्यक्ति की कुंडली एवं किस्मत उसके परिवार एवं खानदान के सदस्यों से जुड़ी होती है। अगर परिवार तथा खानदान के सदस्यों की जन्म कुंडली अच्छी है तो व्यक्ति की कुंडली भी अधिक शक्तिशाली होती है।


कुछ लोग कहते हैं कि शादी के बाद तरक्की करते चले गए तथा कुछ लोगों का यह भी कहना है कि शादी के बाद उनके ऊपर परेशानी का पहाड़ टूट गया।


जब कोई अपनी पत्नी को अपने घर लेकर जाता है और पत्नी की कुंडली वक्री है, ग्रह अस्त या मृत अवस्था में हैं, तब उसके पति की सेहत में कामकाज में कोई न कोई परेशानी या रुकावट होगी। अगर पत्नी की कुंडली में गुरु के साथ सप्तमेश भी पीड़ित है, तब पति के लिए और खराबी पैदा करते हैं।


अगर किसी व्यक्ति की संतान की कुंडली में सूर्य, राहू केतु या शनि के साथ बैठा है या उनकी दृष्टि है, तब पिता के लिए कोई न कोई परेशानी पैदा करेगा। अगर संतान की कुंडली में दशमेश अस्त, वक्री या मृत अवस्था में है या पीड़ित है, तब पिता के लिए कमी पैदा करेगा।


संतान की कुंडली में जब शनि-राहू-केतु की महादशा-अंतरदशा आती है, तब माता-पिता के लिए समस्याएं पैदा होती हैं। सूर्य से पिता का विचार और चंद्रमा से माता का विचार किया जाता है।


शनि/राहू/केतु सूर्य-चंद्रमा के शत्रु हैं। इस कारण इन ग्रहों की महादशा-अंतरदशा में माता-पिता को कोई न कोई परेशानी अवश्य रहेगी, चाहे वह कामकाज की हो या सेहत संबंधी। जब संतान की कुंडली में राहू या केतु चौथे घर में बैठ जाते हैं तब भी माता-पिता के जीवन में कोई न कोई परेशानी पैदा करते हैं। राहू-केतु दोनों ऐसे ग्रह हैं जिस घर में बैठते हैं उस घर को सुख से वंचित कर देते हैं इसलिए कुंडली देखते समय परिवार के सभी सदस्यों की कुंडली देखनी चाहिए तभी सही फलादेश हो जाएगा। अन्यथा फलादेश में अंतर आएगा।

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