Edited By Jyoti,Updated: 23 Apr, 2019 01:25 PM
हिंदू धर्म में जितना फल पूजा आदि करने से मिलता है उतना ही फल मंत्र आदि के जाप से मिलता है। यही कारण है कि हर कोई मंत्र उच्चारण आदि करने में अधिक विश्वास रखता है।
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हिंदू धर्म में जितना फल पूजा आदि करने से मिलता है उतना ही फल मंत्र आदि के जाप से मिलता है। यही कारण है कि हर कोई मंत्र उच्चारण आदि करने में अधिक विश्वास रखता है। लेकिन बहुत कम लोग होंगे जिन्हें ये पता होगा कि किसी भी मंत्र के जाप का सही तरीका क्या होता है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं आखिर मंत्र आदि करते समय किस तरह की माला से जाप करना चाहिए। इसके साथ ही जानेंगे कि माला को किस प्रकार से पकड़ना चाहिए।
मंत्र जाप के लिए जप माला सूत्रम में बताया गया है कि-
मध्यमायां न्यसेतमालां ज्येष्ठाआवर्तयेत सुधि
अर्थात- मंत्र जाप के लिए मध्यमा (बीच वाली उंगली) और अनामिका (मध्यमा के बाद वाली) उंगली पर माला को रखकर अंगूठे से माला को फेरना यानि (मंत्र का जाप) करना चाहिए। एक-एक मनके को पकड़ने के बाद ही मंत्र जाप करना चाहिए। कहा जाता है कि इस तरह से मंत्र का उच्चारण करने से जातक को भुक्ति-मुक्ति प्रदान होती है।
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इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि जिस भी कामना के लिए मंत्र जाप किया जाता है उसमें पूर्ण फल की प्राप्ति होती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शास्त्रों में मंत्र जाप के लिए सुबह, दोपहर और शाम समय सबसे उचित बताया गया है। इसके अलावा ग्रंथों में बताया गया है कि प्रातःकाल के समय मंत्र जाप करते समय माला को नाभि के आगे रखना चाहिए। वहीं दोपहर में मंत्र जाप के दौरान माला को हृदय के समीप रखना चाहिए और शाम के समय माला को अपनी आंखों के सामने रखना चाहिए।
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