इन तरीकों को अपनाने से सावन में बरसेगी भगवान शिव की कृपा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jul, 2017 01:40 PM

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श्रावण मास में सच्चे मन से भगवान शंकर का पूजन करने पर प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। भगवान भोले नाथ

श्रावण मास में सच्चे मन से भगवान शंकर का पूजन करने पर प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। भगवान भोले नाथ भंडारी का सावन एवं सोम के साथ गूढ़ संबंध है। 12 महीनों में देवाधिदेव महादेव को श्रावण का महीना अत्यंत प्रिय है। यह सम्पूर्ण माह धार्मिक व्रतों, पर्वों व उत्सवों से सम्पन्न है। इस महीने की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा का श्रवण नक्षत्र के साथ संयोग हो जाने के कारण ही इस महीने का नाम श्रावण पड़ा है। श्रावण मास पूरी तरह भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित रहता है। श्रावण शिव को इसलिए भी प्रिय है कि इस काल में श्रीहरि के साथ पृथ्वी लोक पर लीलाएं रचाते हैं। 


इस माह में शिव पंचाक्षर मंत्र और गायत्री मंत्र का अधिक से अधिक जप अति फलदायक है। इस माह के सभी सोमवार भगवान शंकर की भक्ति, उपासना, जलाभिषेक के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं। इन सोमवारों में किए जाने वाले व्रत वर्ष भर के किए के बराबर फल देते हैं। 


सावन के महीने में भगवान शिव का पूजन करने के बाद मंत्रों का जाप अवश्य करें। 
इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। मंत्र जाप से पहले पीले रंग का आसन बिछाकर उत्तर दिशा की ओर मुख कर के बैठें। मंत्र साधना के समय पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करें और भूमि शयन करें।


भगवान शिव के मंत्र- ॐ अघोराय नम:, ॐ शर्वाय नम:, ॐ विरूपाक्षाय नम:, ॐ विश्वरूपिणे नम:, ॐ त्र्यम्बकाय नम:, ॐ कपर्दिने नम:, ॐ भैरवाय नम:, ॐ लपाणये नम:, ॐ ईशानाय नम:, ॐ महेश्वराय नम: ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ


ऐश्वर्य और धन प्राप्ति के लिए- 'ह्रीं नम शिवाय' 


बुद्धि और ज्ञानवृद्धि के लिए- 'ऐं नमः शिवाय' 


बीमारियों का नाश करने के लिए- 'जुं सः, हौं जूं सः, त्र्यंम्बकम् यजामहे, पुगन्धिपुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात' 

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