Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Dec, 2019 07:31 AM
हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महालक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। उनकी कृपा से ही व्यक्ति जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। कई बार व्यक्ति मेहनत करने के बाद भी मनचाही सफलता हासिल नहीं कर पाता। ऐसे में धन लाभ चाहते हैं तो
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हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महालक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। उनकी कृपा से ही व्यक्ति जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करता है। कई बार व्यक्ति मेहनत करने के बाद भी मनचाही सफलता हासिल नहीं कर पाता। ऐसे में धन लाभ चाहते हैं तो पुराणों और ज्योतिष के अनुसार कुछ उपाय कर लेने चाहिए-
किसी शुभ मुहूर्त जैसे गुरु पुष्प योग, रविपुष्प योग दोनों ग्रहण, नवरात्रे अथवा दीपावली के दिन आप प्रात: उठें और बिना स्नान किए तथा बिना मुंह हाथ धोए-अर्थात बिना कुल्ला दातुन किए एक पानी वाले नारियल को पत्थर से किसी कपड़े की मदद से बांधकर तालाब अथवा नदी में डुबो दें और डुबोते समय प्रार्थना करें कि शाम को मैं आपको लक्ष्मी जी के साथ लेने आऊंगा। सूर्यास्त के पश्चात नारियल को जल से निकालकर अपने घर लेकर आएं तथा उसका लक्ष्मी जी के पूजन की तरह पूजन करके कैश बाक्स या संदूक में रख दें तो आपको धन की कमी नहीं पड़ेगी। यह प्रयोग फिर कुछ-कुछ समय बाद दोहराते रहें।
सेविंग और इनकम बढ़ाने के लिए शुक्रवार को देवी लक्ष्मी के मंदिर में कमल का फूल चढ़ाएं। संभव न हो तो पीला या गुलाब का फूल भी चढ़ा सकते हैं।
जिस घर में हर रोज़ देवी लक्ष्मी के चित्र या प्रतिमा के आगे घी का दीपक लगाया जाता है और लक्ष्मी द्वादशनाम स्त्रोत का पाठ होता है, वहां कभी भी धन का अभाव नहीं रहता।
शुक्रवार को मां लक्ष्मी की तस्वीर या स्वरुप पर चंदन मिलाकर तिलक लगाएं, फिर अपने मस्तक पर लगाएं। ऐसा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होंगी।
अपने घर के मंदिर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें, इससे धन लाभ के योग बनेंगे।
शुक्रवार को लक्ष्मी मंदिर में खीर का भोग लगाकर गरीबों में बांट दें, सेविंग और इनकम बढ़ेगी।
लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ नित्य करना चाहिए। इससे लक्ष्मी प्राप्ति होती है और ऋण मुक्ति होती है।
त्रैलोक्य पूजिते देवि कमले विष्णु वल्लभे।
यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरां॥
कमला चंचला लक्ष्मीश्चला भूति हरिप्रिया।
पद्मा पद्मालया सम्पद रमा श्री पद्मधारिणी॥
द्वादशैतानि नामनि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्
स्थिरा लक्ष्मी भवेत् तस्य पुत्रादिभि: सह॥