अंग्रेज जज के इस कार्य ने कायम की इंसानियत की परिभाषा

Edited By ,Updated: 03 Jan, 2017 04:28 PM

humanity

यह उस समय की बात है जब हमारा देश आजाद नहीं हुआ था। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में एक अंग्रेज जज थे मिस्टर किली। उनका एक भारतीय नौकर था। एक बार वह नौकर

यह उस समय की बात है जब हमारा देश आजाद नहीं हुआ था। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में एक अंग्रेज जज थे मिस्टर किली। उनका एक भारतीय नौकर था। एक बार वह नौकर बाजार से सामान लेकर आ रहा था कि बंगले के बाहर एक पागल कुत्ते ने उसे काट लिया। नौकर के रोने की आवाज सुन जज साहिब उसके पास आए। जज साहिब ने तुरंत कुत्ते के काटने की जगह पर अपना मुंह लगा दिया और सारा खून चूसकर उगल दिया। 

 

बाद में मरहम पट्टी के बाद उसे एक अंग्रेज डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने जब पूरा वाक्या सुना तो वह आश्चर्यचकित रह गए और बोले, ‘आपने बेवकूफी की है। इससे तो आपकी जान भी जा सकती थी। आपने अंग्रेज होकर एक मामूली हिंदुस्तानी नौकर के लिए अपनी जान के साथ खिलवाड़ क्यों किया।’

 

जज साहिब मुस्कुराकर बोले, ‘यह हमारा नौकर जरूर है लेकिन उसमें हमसे और आपसे ज्यादा इंसानियत है और इंसानियत की रक्षा के लिए मैं जान भी दे सकता हूं।’ 

 

डॉक्टर की समझ में कुछ नहीं आया। उसने कहा, ‘आप क्या पहेली बुझा रहे हैं, मैं समझ नहीं पा रहा। थोड़ा समझा कर कहें।’ 

 

जज साहिब ने बताया, ‘एक बार मैं इसको साथ लेकर टूर पर गया था। सुनसान रास्ते में बदमाशों ने मेरी हत्या करने की कोशिश की लेकिन इसने अपनी जान की परवाह नहीं की और मुझे बचाने के लिए बदमाशों से भिड़ गया। उनके हाथ में चाकू था और उनसे छीना-झपटी में इसको गहरी चोट लगी।’

 

हमलावर उससे बार-बार कह रहे थे कि तुम हिंदुस्तानी हो, तुम भाग जाओ। इसने कहा कि मैं मालिक को छोड़कर नहीं जा सकता। अब आप बताएं कि आज मुझे क्या करना चाहिए। इसे बचाना क्या मेरा कर्तव्य नहीं था। इसे कुछ हो जाता तो इंसानियत कलंकित हो जाती। यह पूरा वाक्या सुनकर डॉक्टर का सिर झुक गया।

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