Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 06:21 PM
भगवान श्री कृष्ण का एक बहुत ही अनन्य भक्त था। वह भगवन का बहुत लगन से पूजा-पाठ करता। भगवान की सेवा रृकरना उसे सबसे प्रिय लगता था। एक दिन उसने भगवान से कहा कि प्रभु मैं आपकी इतनी श्रद्धा भाव से आपकी सेवा करता हूं, पूजा-पाठ करता हूं।
भगवान श्री कृष्ण का एक बहुत ही अनन्य भक्त था। वह भगवन का बहुत लगन से पूजा-पाठ करता। भगवान की सेवा रृकरना उसे सबसे प्रिय लगता था। एक दिन उसने भगवान से कहा कि प्रभु मैं आपकी इतनी श्रद्धा भाव से आपकी सेवा करता हूं, पूजा-पाठ करता हूं। लेकिन आप मुझे दर्शन नहीं देते। हे प्रभु! कम से कम एक बार तो मुझे आपके दर्शन करने का सौभाग्य दीजिए। अगर दर्शन नहीं तो कुछ ऐसा कीजिए जिससे मुझे आभास हो की आप मेरे साथ हैं। भगवान ने उस कहा कि ठीक है। अब से तुम जब-जब समंदर किनारे टहलोगे तुम्हें 4 पैरों के निशान दिखाई देंगे दो तुम्हारे होंगे और दो मेरे। ऐसा ही हुआ जब-जब वो वो समंदर किनारे चलता तो उसे चार पैरों के निशान दिखाई देते। उसे ये देख के काफी अच्छा लगता। रोज वो ऐसा करने लगा।
कुछ दिनों बाद अचानक उसके साथ सब बुरा हुने लगा उसका व्यापार डूब गया, उसके सभी मित्रों, परिवार जनों ने उसका साथ छोड़ दिया। अब जब वो समंदर किनारे चलता तो उसे सिर्फ दो ही पैर दिखाई देते। उसे इस बात से बहुत तकलीफ हुई कि बुरे वक्त में मेरे परिवार के लोगों ने तो मेरा साथ छोड़ा ही परंतु भगवान ने भी मुझे अकेला छोड़ दिया।
फिर कुछ दिनों बाद सब कुछ ठीक हो गया उसका व्यपार भी खूब अच्छा चलने लगा। उसके मित्र जो बुरे वक्त में उसका साथ छोड़ गए थे। उसके पास वापिस आ गए। अब जब फिर वो समंदर किनारे चलता तो उसे दो की जगह चार पैरों के निशान दिखाई देने लगे। तब उसने भगवन से कहा की प्रभु मुझे इस बात का बुरा नहीं लगा की मेरे अपनों ने मेरे बुरे वक्त में मेरा साथ छोड़ा, मुझे दुख इस बात का लगा कि प्रभु आपने मेरा साथ छोड़ दिया। तब भगवान ने कहा उस समय जो निशान तुम्हें दिखाई देते थे वो तुम्हारे नहीं मेरे थे क्योंकि मैंने तुम्हें गोद में उठा रख था जब तुम्हारा बुरा वक्त समाप्त हो गया तो मैंने गोद से निचे उतर दिया।