Edited By Jyoti,Updated: 31 Oct, 2019 12:12 PM
आज कल के टाईम में लोगों को नींद हद से ज्यादा पसंद है और इस नींद में खलल पड़ जाती है तो इंसान के मन के साथ मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है। ये खलल पड़ता है रात में आने वाले सपनों से।
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आज कल के टाईम में लोगों को नींद हद से ज्यादा पसंद है और इस नींद में खलल पड़ जाती है तो इंसान के मन के साथ मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है। ये खलल पड़ता है रात में आने वाले सपनों से। हर किसी को सपने तो आते हैं परंतु कुछ सपने ऐसे होते हैं जिसके आने पर हम बेचैन हो जाते हैं। इतना ही नहीं ये बेचैनी कभी-कभी व्यक्ति पर बहुत हावी हो जाती है। माना जाता है इसके चलते व्यक्ति का मन कभी-कभी किसी अप्रिय घटना से इतना क्रोधी हो जाता है कि न तो नींद ही ठीक से आती है और न ही शरीर को आराम मिल पाता है।
कुछ लोग तो सपनों से इतना खौफ़ खाए बैठ जाता है कि उसे सोने से डर लगता है। तो अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हो रहा है तो आपतको बता दें कि अप आपको अपनी इस परेशानी से मुक्ति मिलनने का समय आ गया है। जी हां, शास्त्रों में बुरे स्वप्न और अनिद्रा को हमेशा के लिए खत्म करने व अवेक प्रकार के भय और बूरे स्वप्न से मुक्ति के लिए खास उपाय बताए गए हैं। जिसकी आपको बुरे सपने भी नहीं आएंगे साथ ही आपकी नींद न आने की समस्या भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। जिस व्यक्ति को नींद न आने की समस्या हो तो सोने से पहले हाथ-पैर धोकर बिस्तर पर बैठ जाएं एवं नीचे दिए गए मंत्र का मन ही मन 11 बार उच्चारण करने के बाद ही सोएं।
मंत्र-
अगस्तिर्माधवश्चैव मुचुकुन्दो महाबल :।
कपिलो मुनिरास्तीक: पंचैते सुखशायिन:।।
शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि आद्य शक्ति मां दुर्गा का एक रूप निद्रा यानि की योगनिद्रा भी है। इसलिए माना जाता है सोने से पहले व्यक्ति को हाथ-पैर धोकर बिस्तर को साफ़ करके वहीं बैठकर दुर्गा सप्तशती के निम्न मंत्र का 7 या 21 बार पढ़ना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से बुरे सपने आने की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सोने से पहले यजुर्वेद के इस मंत्र का 11 बार जप करने से हर तरह की समस्या से मुक्ति मिलती हैै।
मंत्र-
ॐ विश्वानि देव सवितु: दुरितानि परा सुव यद् भद्रं तन्न आ सुव।।
रात्रि में बिस्तर पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके नीचे दिए गए मंत्र का 21 बार उच्चारण करने से बुरे सपने आने बंद हो जाते हैं।
मंत्र-
वाराणस्यां दक्षिणे तु कुक्कुटो नाम वै द्विज:।
तस्य स्मरणमात्रेण दु:स्वप्न सुखदो भवेत्।।