आज है अधिक मास का दूसरा दिन इन चीज़ों का करें दान, जीवन की बाधाएं होंगी दूर

Edited By Jyoti,Updated: 19 Sep, 2020 01:31 PM

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पितृ पक्ष के खत्म होते ही जहां नवरात्रि आरंभ होते हैं, तो वहीं मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक तीन साल बाद बीच में अधिक मास भी पड़ता है। इस बार 17 सितंबर को श्राद्ध पक्ष समाप्त होती है अधिक मास की शुरूआत हो चुकी है

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
पितृ पक्ष के खत्म होते ही जहां नवरात्रि आरंभ होते हैं, तो वहीं मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक तीन साल बाद बीच में अधिक मास भी पड़ता है। इस बार 17 सितंबर को श्राद्ध पक्ष समाप्त होती है अधिक मास की शुरूआत हो चुकी है, जिसका हिंदू धर्म में अधिक महत्व है। कहा जाता है चातुर्मास के दौरान आने वाले अधिक मास को इसी की तरह अधिक धर्म कर्म करने वाला माना जाता है। साथ ही साथ इस दौरान भी भगवान विष्णु की पूजा करनी श्रेष्ठ रहती है। अगर चातुर्मास की विषशेता की बात करें तो इस दौरान भगवान नारायण विश्राम करने के लिए पाताल लोक में चले जाते हैं, जिसके बाद पूरी पृथ्वी का भार भगवान शिव के कंधों पर आ जाता है। मान्यताओ के अनुसार भगवान शंकर चातुर्मास में पृथ्वी की रक्षा करने हेतु देवी पार्वती के साथ भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा करते हैं।
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मुख्य रूप इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा की जाती है तो वहीं अधिक मास में भी इनकी ही आराधना करने का महत्व होता है। शास्त्रों में इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। कहा जाता है इस मास में जो भी भगवान विष्णु की पूजा करता तथा उनका स्मरण करता है, उसके जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। मगर इसके अलावा इस दौरान कौन से काम करने चाहिए, आइए जानते हैं। खासतौर पर जानेंगे कि इस मास में कौन सी चीज़ों का अधिकतर किस चीज़ का दान करना चाहिए।

अगर अधिक मास से जुड़ी मान्यताओं की मानें तो चातुर्मास की ही तरह इस मास में भी दान आदि करने का अधित महत्व है। जिसके चलते लोग इस दौरान कई प्रकार का दान आदि कार्य करते हैं। मगर क्या आप जानते हैं अधिक मास में होने वाला मुख्य दान क्या होता है। अगर नहीं तो आपको बता देते प्रचलित मान्यताओं के अनुसार अधिक मास में तिथिवार दान करने से जातक के जीवन की कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। तो वहीं ये भी बताया जाता है इस मास में दान करने वाले जातक के आत्म विश्वास में वृद्धि होती है साथ ही साथ बुद्धि भी सकारात्मक रूप लेती है। 

शास्त्रों में अधिक मास के दूसरे दिन का अधिक महत्व बताया गया है। कहा जाता है इस दिन धातु का दान करना अधिक फलदायी होता है। इसके अलावा इस दिन अधिक मास के दूसरे दिन कांसा या अपने क्षमता अनुसार सोने का दान करने से जीवन में सुख-शांति आती है, साथ ही साथ जीवन में आ रही हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। 
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यहां जानें दान के लिए कौन से समय होता सर्वश्रेष्ठ- 
नित्य दान- नित्य प्रातः उठकर अपने नित्या कर्म में देवता के ही एक स्वरूप उगते सूरज को जल भी अर्पित करने से उसे ढेर सारा पुण्य मिलता है। 

इसके अलावा दोपहर में भोजन की वस्तुओं का दान करने से भी पुण्य इकट्ठा किया जाता है। कहा जाता है एक दिन के तीनों समय कुछ दान ज़रूर करना चाहिए। 

नैमित्तिक दान - शास्त्रों के अनुसार नैमित्तिक दान के लिए कुछ विशेष नैमित्तिक अवसर और समय होते हैं जैसे अमावस्या, पूर्णिमा, एकादशी, संक्रांति, माघ, अषाढ़, वैशाख और कार्तिक पूर्णिमा, सोमवती अमावस्या, युग तिथि, गजच्छाया, अश्विन कृष्ण त्रयोदशी, व्यतिपात और वैध्रिती नामक योग, पिता की मृत्यु तिथि आदि, इस दौरान दान करने से सारे सुख प्राप्त होते हैं। 
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 काम्या दान - जो दान व्रत और देवता के नाम पर खास रूप से किसी इच्छा की पूर्ति के लिए किया जाता है, उस दान के समय को काम्या कहा जाता है। 
 

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