अगर ये 2 रातें सो गएं तो गवा देंगे ऐसा सुनहरा मौका

Edited By Jyoti,Updated: 27 Aug, 2019 04:46 PM

importance of sharad purnima and diwali night according to hindu shastra

आप में से बहुत से लोगों ने सुना होगा जो लोग रात को अधिक जागते हैं उनकी तुलना उल्लू से कर दी जाती है। क्योंकि कहा जाता है उल्लू रात में सोता नहीं है। जिस कारण कुछ लोग बुरा भी मान जाते हैं।

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आप में से बहुत से लोगों ने सुना होगा जो लोग रात को अधिक जागते हैं उनकी तुलना उल्लू से कर दी जाती है। क्योंकि कहा जाता है उल्लू रात में सोता नहीं है। जिस कारण कुछ लोग बुरा भी मान जाते हैं। तो ऐसे लोगों को बता दें इसमें बुरा मानने वाले कोई बात नहीं। शास्त्रों के अनुसार उल्लू देवी लक्ष्मी का वाहन हैं और वो रात में ही इस पर विराजमान होकर भ्रमण करती हैं। जिस कारण उल्लू को ख़ास महत्व प्रदान है। यूं तो शास्त्रों में रात में देर तक जागना अच्छा नहीं माना जाता परंतु कुछ मान्यताओं के अनुसार साल के कुछ दिन ऐसे होते हैं जिस दिन सारी रात जागना आपके लिए बहुत लाभकारी हो सकता है। तो आइए जानते हैं कौन सी हैं वो रातें-
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प्रचलित मान्यतओं के अनुसार साल की कुछ ऐसी खास रातें होती हैं जब देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों पर भर-भर कर अपनी कृपा बरसाती हैं। जिनमें से दो मुख्य रातों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

पहली है दीपावली की रात और दूसरी है शरद पूर्णिमा की रात।
दीवाली की रात को लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है जिस दौरान जलाया गए दीपक को सारी रात रखवाली करनी ज़रूरी है। ऐसी मान्यता कि दीपावली पर देवी लक्ष्मी जिन घरों में रोशनी नहीं होती वहां नहीं जाती। इसलिए कहा जाता दीपावली की सारी रात जागकर देवी लक्ष्मी का आवाह्न करना चाहिए।
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हिंदू धर्म के पुराणों आदि में बताया गया है कि जो लोग अधिक धन पाने की इच्छा रखते हो उनके दीपावली से ज्यादा महत्वपूर्ण शरद पूर्णिमा की रात है। बता दें शरद पूर्णिमा की रात कोजागरा यानि कौन जाग रहा है रात भी कहते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति शरद पूर्णिमा की रात को बैठकर जागरण करके देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना करता है देवी लक्ष्मी उनका घर धन-धान्य से भर देती हैं।

प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार इस रात राधा रूप में देवी लक्ष्मी और श्री कृष्ण रूप में भगवान विष्णु ने इसी रात को महारास किया था। इसलिए यह श्री कृष्ण और राधा की प्रिय रात है।मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपन्न होकर सबसे साफ़ और सुंदर दिखता है और अमृत की वर्षा करता है। इसी कारण रात में खीर बनाकर खुले आसमान में रखकर सुबह उसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है।
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