Edited By Lata,Updated: 14 Nov, 2019 09:28 AM
एक समय की बात है। पंजाब रैजीमैंट और सैपर्स एंड माइनर्स की टीमों के बीच हॉकी का मैच चल रहा था।
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एक समय की बात है। पंजाब रैजीमैंट और सैपर्स एंड माइनर्स की टीमों के बीच हॉकी का मैच चल रहा था। पंजाब रैजीमैंट का एक खिलाड़ी अपने आकर्षक खेल से सब दर्शकों की आंखों का तारा बना हुआ था। इससे विपक्षी टीम के एक खिलाड़ी के मन में ईष्रया की भावना आ गई और उसने मौका पाते ही पंजाब रैजीमैंट के उस खिलाड़ी के सिर पर प्रहार कर दिया। घायल खिलाड़ी को मैदान से बाहर ले जाया गया मगर अगले ही कुछ मिनटों में सिर पर पट्टी बांधे वह फिर से खेलने के लिए मैदान में हाजिर हो गया।
आमना-सामना होने पर उसने प्रहार करने वाले खिलाड़ी से कहा, ''तुम देख लेना, मैं बदला लिए बिना नहीं रहूंगा। यह सुनकर उस खिलाड़ी के मन में डर बैठ गया कि कहीं यह खिलाड़ी भी उस पर हॉकी से प्रहार कर घायल न कर दे। अब वह संभलकर खेलने लगा। उस खिलाड़ी का सामना होने पर वह इसी बात का ध्यान रखता था कि उस पर कहीं प्रहार न कर दे। पंजाब रैजीमैंट का वह खिलाड़ी बेफिक्र होकर पहले की तरह खेल रहा था। उसके चेहरे पर एक दृढ़ निश्चय का भाव झलक रहा था। उसके खेल में और भी अधिक निखार तथा पैनापन आ गया। देखते-देखते उसने विपक्षी टीम पर एक के बाद एक 6 गोल दाग दिए।
खेल समाप्त होने पर वह घायल खिलाड़ी, विपक्षी खिलाड़ी के पास गया और बोला, ''तुमने मुझ पर वार करके मुझे बदला लेने के लिए मजबूर कर दिया। इसी बदले की भावना से मैंने 6 गोल किए। इस तरह और अच्छा खेलकर मैंने अपना बदला पूरा किया। यदि तुम मुझ पर प्रहार न करते तो शायद मैं एक-दो गोल से ज्यादा न कर पाता। विपक्षी खिलाड़ी का सिर लज्जा से झुक गया। वही घायल खिलाड़ी आगे चलकर हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के रूप में प्रसिद्ध हुआ।