Edited By Jyoti,Updated: 15 Aug, 2019 10:35 AM
सन 1571 में महाराष्ट्र के कुछ सामन्तों ने एक महिला को गद्दी से उखाड़ फैंकने का निर्णय लिया क्योंकि वह उनकी राह में बड़ी रुकावट बन रही थी। यह महिला थी खुंजा हुमायुं जो एक पारसी मूल की विधवा थी
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सन 1571 में महाराष्ट्र के कुछ सामन्तों ने एक महिला को गद्दी से उखाड़ फैंकने का निर्णय लिया क्योंकि वह उनकी राह में बड़ी रुकावट बन रही थी। यह महिला थी खुंजा हुमायुं जो एक पारसी मूल की विधवा थी। उसका विवाह अहमद नगर के निजाम शाह के साथ हुआ था। निजाम शाह 1565 में विजयनगर रियासत के विध्वंस के लिए जिम्मेदार था। विजयनगर के राय ने सुल्तान निजाम शाह से एक बड़ी भेंट की मांग की थी जिसमें माणिक-मोतियों के अलावा खुंजा हुमायुं की पायल भी थी। इस बात से गुस्साए निजाम शाह ने विजयनगर पर कहर बरपा दिया। राय का सिर धड़ से अलग कर दिया गया। जब निजाम शाह की मृत्यु हुई तो बेगम खुंजा गद्दीनशीन हुईं।
बेगम बहुत ही योग्य थीं। सारे दरबारी कवि उनके सौंदर्य की प्रशंसा किए करते थे और उन्हें बहुत बुद्धिमान माना जाता था। उनकी एक बेटी थी चांद बीबी जो उन्हीं की तरह साहसी और सुंदर थी। बेगम खुंजा को पर्दे तथा महिलाओं पर लगाए जाने वाले अन्य प्रतिबंधों से सख्त नफ़रत थी। एक आम महिला की तरह जीवन बिताने की बजाय उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ीं, कई राजाओं के साथ गठजोड़ किए तथा दरबार में अपना दबदबा बनाया। उनके विरोधी कुछ दरबारियों ने उन्हें गद्दी से हटाने तथा उनके बेटे को गद्दीनशीन करने के लिए उन्हें जेल में डाल दिया।
खुंजा हुमायुं की तरह दक्कन में मध्य युग में कई अन्य बहादुर महिलाओं का जिक्र भी मिलता है। बेगम खुंजा की बेटी चांद बीबी बीजापुर सल्तनत में बहू बन कर गई ताकि वह वापस अहमदनगर आ सके और सामन्तों की ताकत को नियंत्रण में कर सके। 1590 के अंत में मुगलों ने अहमदनगर को घेर लिया। यह चांद बीबी ही थी जो अहमदनगर की रक्षा के लिए आगे आई और आतताइयों का डट कर मुकाबला किया। 1599 में कुछ सेनानियों ने मुगलों के साथ उनकी कूटनीतिक बातचीत के समय चांद बीबी की हत्या कर दी लेकिन विडम्बना देखिए ये मुगल ही थे जिन्होंने चांद बीबी को बनता सम्मान दिया। जब उन्होंने अहमदनगर पर कब्जा कर लिया तो सबसे पहले मुगलों ने चांद बीबी के कातिलों को मौत के घाट उतारा।
गोलकुंडा के कुतुबशाह की बेटी हयातबख्श बेगम भी एक ऐसी ही बहादुर और निडर महिला थीं। उन्होंने ईरान के शाह के साथ विवाह करने से इन्कार कर दिया था और दक्खन में ही रहने को अधिमान दिया था। जब औरंगजेब अपनी सेनाएं लेकर गोलकुंडा के प्रवेश द्वारों पर पहुंचा था तब हयातबख्श बेगम ने ही उसका सामना किया था। औरंगजेब को उसके सामने झुकना पड़ा था और उसे गोलकुंडा की राजकुमारी का दर्जा देना पड़ा था।