Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Apr, 2021 10:32 AM
किसी देश का एक राजा वृद्धों की बहुत उपेक्षा करता था। उनकी सेना में तो जवान आदमी ही थे क्योंकि बूढ़े क्या लड़ सकते हैं? पर उसकी सभा में भी तरुण जन ही रहते थे। उसका पूरा मंत्रिमंडल भी तरुण युवकों का ही था।
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Inspirational Story- किसी देश का एक राजा वृद्धों की बहुत उपेक्षा करता था। उनकी सेना में तो जवान आदमी ही थे क्योंकि बूढ़े क्या लड़ सकते हैं? पर उसकी सभा में भी तरुण जन ही रहते थे। उसका पूरा मंत्रिमंडल भी तरुण युवकों का ही था। इतना ही नहीं यह राजा अपने तरुण सहयोगियों के साथ बैठकर बूढ़ों का मजाक उड़ाया करता था और कहता था, ‘‘बूढ़ों की बुद्धि कुंठित हो जाती है, ये लोग सदा बातें किया करते हैं।’’
एक बार विशाल चतुरंगिणी सेना को लेकर राजा ने प्रस्थान किया। राजा का पड़ाव एक जंगल में लगा। बड़े-बड़े शिविरों में सब ठहर गए। आशा थी कि जंगल में कहीं न कहीं पानी अवश्य होगा लेकिन बहुत ढूंढने पर पानी कहीं नहीं मिला। राजा प्यास से व्याकुल हो गया था और उसके सभी जवानों का भी कंठ सूख रहा था। समस्या का हल न होता देखकर एक समझदार सेवक ने राजा से प्रार्थना की, ‘‘राजन! यदि कोई बूढ़ा इस समय हमारे साथ होता तो हमें इस तरह प्यासा न भटकना पड़ता। ’’
राजा ने अब वृद्धों की कीमत को पहचाना और किसी वृद्धजन को ढूंढने की घोषणा कराई। उसी के पड़ाव में से एक तरुण अपने वृद्ध पिता को लेकर राजा के सामने उपस्थित हुआ। राजा ने वृद्धजन से प्रार्थना की कि हे पूज्य! हमारी समस्या का हल करो। यहां पानी हमको कहां से मिलेगा?
वृद्ध ने अपने अनुभव के आधार पर यह बताया-चरते हुए गधे जिस भूमि को सूंघें वहां थोड़ी-सी गहराई पर पानी अवश्य मिल जाएगा। सेवकों ने खोज की। जंगल में घास चरते हुए गधों को भूमि सूंघते हुए देखा तो उस स्थान की खुदाई करवाई। थोड़ा-सा खोदते ही जल का स्रोत फूट पड़ा। इस घटना के बाद राजा के सलाहकारों में बूढ़ों की वृद्धि हो गई और राजा वृद्धजनों को सम्मान देने लगे।