Edited By Prachi Sharma,Updated: 01 Dec, 2024 12:13 PM
बात तब की है जब सिकंदर ने अपने बल के दम पर दुनियाभर में धाक जमा ली थी। इसके बाद वह अमर होना चाहता था। उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Motivational Story: बात तब की है जब सिकंदर ने अपने बल के दम पर दुनियाभर में धाक जमा ली थी। इसके बाद वह अमर होना चाहता था। उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता है। सिकंदर उस जल की तलाश में निकल पड़ा।
देश-दुनिया में भटकने के बाद आखिरकार सिकंदर ने उस जगह को खोज लिया जहां पर उसे अमृत जल प्राप्त हो सकता था। वह एक पुरानी गुफा थी जहां पर कोई आता-जाता नहीं था। देखने में वह बहुत डरावनी लग रही थी लेकिन सिकंदर ने जोर से सांस ली और गुफा में प्रवेश कर गया। वहां पर उसने देखा कि गुफा के अंदर एक अमृत का झरना बह रहा है।
उसने जल पीने के लिए हाथ ही बढ़ाया था कि एक कौवे की आवाज आई। कौवा गुफा के अंदर ही बैठा था। कौवा जोर से बोला ठहर रुक जा यह भूल मत करना...।
सिकंदर ने कौवे की तरफ देखा। वह बड़ी ही दयनीय अवस्था में था, पंख झड़ गए थे बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था। सिकंदर ने कहा तू कौन होता है मुझे रोकने वाला...? मैं पूरी दुनिया को जीत सकता हूं तो यह अमृत पीने से मुझे कौन रोक सकता है।
तब कौवे ने आंखों से आंसू टपकाते हुए बोला कि मैं अमृत की तलाश में ही इस गुफा में आया था और मैंने जल्दबाजी में अमृत पी लिया। अब मैं कभी मर नहीं सकता, पर अब मैं मरना चाहता हूं लेकिन मर नहीं सकता। देख लो मेरी दयनीय हालत।
कौवे की बात सुनकर सिकंदर देर तक सोचता रहा सोचने के बाद फिर बिना अमृत पिए ही चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया। सिकंदर समझ चुका था कि जीवन का आनंद उस समय तक ही रहता है जब तक हम उस आनंद को भोगने की स्थिति में होते हैं।