Inspirational Stories- जीवन जीने का नजरिया बदल देगी ये कथाएं

Edited By Jyoti,Updated: 26 Mar, 2021 10:37 AM

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‘हुमायूं का पश्चाताप ’ हुमायूं, शेरशाह से परास्त हो गया। मन का क्षोभ हल्का करने के विचार से वह गुरु अंगद देव के पास गया। गुरु अंगद देव उस समय ध्यानमग्न थे

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‘हुमायूं का पश्चाताप ’
हुमायूं, शेरशाह से परास्त हो गया। मन का क्षोभ हल्का करने के विचार से वह गुरु अंगद देव के पास गया। गुरु अंगद देव उस समय ध्यानमग्न थे, अत: हुमायूं के आने का उन्हें पता न लगा। हार से क्षुब्ध हुमायूं ने इसे अपनी उपेक्षा समझा। क्रोध में आकर तलवार निकाल कर उन्हें मारने को सन्नद्ध हुआ किन्तु गुरु जी के तेजस्वी मुखमंडल पर दृष्टि पड़ते ही दिल कांप गया और हाथ से तलवार छूट गई। आवाज सुनकर गुरु जी ने धीरे से नेत्र खोले। पलक मारते घटना का विश्लेषण कर लिया। सौम्य मुस्कुराहट के साथ बोले, ‘‘शाबाश हुमायूं! युद्ध में हारकर अपने शौर्य-प्रदर्शन के लिए अच्छा स्थान चुना। संतों पर तलवार चलाकर अपनी संतुष्टि करना चाहता है।’’

हुमायूं शर्म से गड़ गया। संत की पगधूलि लेकर पश्चाताप करता चला गया।

‘बदला’
एक समय की बात है सुप्रसिद्ध दार्शनिक देकार्त के साथ किसी व्यक्ति ने दुव्र्यवहार किया। मगर देकार्त ने उसे कुछ नहीं कहा। ‘‘अरे! तुम्हें तो उससे बदला लेना चाहिए था। उसका यह व्यवहार बहुत बुरा था।’’ एक हितैषी ने कहा। देकार्त बोला, ‘‘सुनो! जब कोई मुझसे बुरा व्यवहार करता है तो मैं अपनी आत्मा को उस ऊंचाई पर ले जाता हूं जहां कोई दुव्र्यवहार उसे छू भी न सके।’’

‘छात्र का संकल्प’
न्यूयार्क के केयेस नामक बारह वर्षीय छात्र ने परिवार की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय होने के कारण विद्यालय की पढ़ाई बंद नहीं कर दी वरन सुबह और शाम को अवकाश के समय बूट पालिश करने का सहायक काम अपनाकर अपना शिक्षा का पूरा व्यय स्वयं ही जुटाना शुरू कर दिया।

पिता ने लाचारी के साथ अपने पुत्र से कहा, ‘‘बेटा! तुम अपने परिवार की आर्थिक स्थिति से भली-भांति परिचित हो। अब इच्छा होते हुए भी मैं तुम्हारी पढ़ाई की व्यवस्था नहीं कर सकता। खाने-पीने का खर्च तो एक ही घर में रहने के कारण सबका जैसे- तैसे चल ही जाता है।’’

उस बालक ने कहा, ‘‘पिता जी! आप मेरी पढ़ाई-लिखाई पर होने वाले व्यय की तनिक भी ङ्क्षचता न करिए। मैं कल से कोई सहायक व्यवसाय अपनाकर खर्च की व्यवस्था कर लूंगा।’’

और दूसरे दिन से उसने जूतों पर पालिश करने का काम शुरू कर दिया। इस काम से उसे प्रति सप्ताह दो डालर की आय हो जाती थी। उसका कहना था कि जो विद्यार्थी अपने अध्ययन को जारी रखना चाहते हैं उन्हें निर्धनता कभी भी बाधा नहीं पहुंचा सकती।

आगे चल कर केयेस ने एक छोटी बूट पालिश की दुकान खोली, जिसमें उस जैसे अनेक निर्धन लड़के-लड़कियों ने कुछ समय काम करके अपनी शिक्षा का व्यय निकाला और सफल नागरिक बने।  

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