जाको राखे साइयां, मार सके न कोई...

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Mar, 2020 08:51 AM

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अमरीका के किसी शहर में एक दम्पति रहता था। अभी शादी को दो वर्ष ही हुए थे। रामपाल हरियाणा का रहने वाला और उसकी पत्नी जेनेलिया अमरीकन थी। दोनों एक ही कम्पनी में नौकरी करते थे।

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अमरीका के किसी शहर में एक दम्पति रहता था। अभी शादी को दो वर्ष ही हुए थे। रामपाल हरियाणा का रहने वाला और उसकी पत्नी जेनेलिया अमरीकन थी। दोनों एक ही कम्पनी में नौकरी करते थे। रामपाल को तो अमरीका में गए पांच वर्ष से अधिक समय हो चुका था। वह बहुत मेहनती था और जेनेेलिया से बहुत प्यार करता था। रामपाल के पीछे उसके मां-बाप और दो बहने थीं। एक बहन सवित्री की शादी पिछले वर्ष ही की थी। रामपाल शादी में नहीं जा पाया था, पर उसने शादी का लगभग सारा खर्चा उठाया था। रामपाल ने अपनी मेहनत की बदौलत अपनी कोठी-कार और सब सुख-सुविधाएं अर्जित की थीं। अमरीका आने के बाद रामपाल एक बार भी परिवार से मिलने नहीं जा सका। शादी के बाद उसने जेनेलिया से कई बार अपने माता-पिता से मिलने भारत चलने को कहा पर जेनेलिया टाल-मटोल कर देती। 

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जब भी रामपाल फोन पर अपने घर वालों से बात करता तो वे उसे जेनेलिया से बात कराने को कहते लेकिन जेनेलिया अनमने ढंग से हैलो करके बात समाप्त कर देती। जब मां पूछती,‘‘पाले, सब ठीक तो है न!’’ 

तो रामपाल बात बनाकर बोल देता कि,‘‘दफ्तर में काम का बोझ होने के कारण रात भर सोई नहीं है। बाकी आप किसी तरह की चिंता नहीं करना सब ठीक है।’’

फिर मां कहती कि, ‘‘पाले जल्दी-जल्दी मुझे सुंदर से पोते की दादी बनाओ और फिर मेरे पोते और बहू को लेकर गांव आओ। सारी बिरादरी को बुला कर दावत देंगे।’’

रामपाल उत्तर देता, ‘‘मां! जब भगवान की मर्जी होगी तो सब कुछ होगा। चिंता न किया करो।’’ 

रामपाल और जेनेलिया कभी-कभी तो हफ्ते बाद ही मिल पाते थे। जब रामपाल शाम घर वापस आता तो जेनेलिया की नाइट ड्यूटी होने के कारण वह शाम को ही काम पर निकल चुकी होती थी। आज दोनों वीकएंड पर घूमने जा रहे थे। जेनेलिया बहुत खुश थी। उसे तरक्की मिली थी। दोनों सैलीब्रेट करने जा रहे थे। रामपाल गाड़ी चला रहा था। समुद्र के किनारे अनेक जोड़े घूम रहे थे। कुछ खा-पी रहे थे। आज जेनेलिया भी मस्ती के मूड में थी। दोनों ने रेत पर लम्बी दौड़ लगाई। रेस्तरां में खाना खाने के बाद वे देर रात घर आकर सो गए।

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सुबह फिर वही सिलसिला शुरू। काम पर जाना और शाम को वापस आना। करते-करते छ: महीने बीत गए। रामपाल अपने गांव जाने को बेचैन था। सोच रहा था इस बार छुट्टियों में गांव जरूर जाएंगे। आखिर मेरी पत्नी है उसे भी अपना ससुराल देखना चाहिए। 
वीकएंड पर वे दोनों नाश्ते से फारिग हुए तो रामपाल ने पहले तो जेनेलिया का मूड चैक किया और उसे वह काफी खुश दिखी तो रामपाल ने उससे कहा,  ‘‘डियर! इस बार क्रिसमस की छुट्टियों में इंडिया जाने का इरादा है। मुझे घर से आए पांच साल से भी अधिक हो गए हैं। इस बार छुट्टियों में हम गांव जरूर जाएंगे। घर वाले मुझसे ज्यादा तुम्हें देखना चाहते हैं।’’

जेनेलिया तीखे स्वर में बोली, ‘‘रैम! तुम जाना चाहो तो जाओ। मुझे तुम्हारे गांव जाने में दिलचस्पी नहीं है।’’

रामपाल बड़े प्यार से जेनेलिया का हाथ चूमते हुए बोला, ‘‘तुम मुझसे प्यार करती हो तो जिन्होंने मुझे पैदा किया है, उनसे भी प्यार करो। एक बार चल कर देखो तो सही वे तुम्हें मुझसे ज्यादा प्यार देंगे।’’ 

जेनेलिया ने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और बोली, ‘‘मैंने नहीं जाना मतलब नहीं जाना।’’ 

रामपाल गुस्से में बोला, ‘‘तो फिर मेरे पास एक ही हल है। हम तलाक लेकर अलग हो जाते हैं।’’

जेनेलिया वापस मुड़ी और रामपाल के गले में बांहें डालकर बोली, ‘‘मैं तो मजाक कर रही थी। मैं जरूर इंडिया चलूंगी।’’ 

रामपाल ने घर फोन लगा कर मां को बताया कि इस बार छुट्टियों में हम दोनों गांव आ रहे हैं। लो अपनी बहू से बात करो।’’

जेनेलिया थोड़ी-बहुत हिंदी सीख चुकी थी। बोली, ‘‘माता जी नमस्ते। हम आपसे मिलने आ रहे हैं।  पीता जी (पिता जी) को नमस्ते कहना।’’ इतना कहकर वह रामपाल से सट कर बैठ गई। रामपाल खुश भी था और इस अचानक आई तबदीली से हैरान भी था। 

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जेनेलिया मन ही मन सोचने लगी कि इंडिया तो मैंने कभी जाना ही नहीं अगर इसने मुझे डायवोर्स दे दिया तो इस कोठी, गाड़ी और बैंक बैलेंस का क्या होगा? अब उसके मन ने शैतान का रूप धारण कर लिया। जेनेलिया ने रामपाल को रास्ते से हटाने के लिए खतरनाक रास्ता चुना। रामपाल समोसे खाने का बहुत शौकीन था। जेनेलिया ने समोसे के आलुओं में जहर भर दिया। रामपाल ऑफिस से आया तो जेनेलिया उसके लिए चाय और समोसे लेकर आई और बोली, ‘‘आज मैंने तुम्हारे लिए वह चीज बनाई है जो तुम्हें बहुत पसंद है।’’ 

रामपाल बोला, ‘‘आज  दोस्तों ने ऑफिस में ही समोसे मंगवा लिए थे। मैंने तीन समोसे वहीं खा लिए, फिर किसी दिन खाऊंगा।’’

जेनेलिया बोली, ‘‘मैंने प्यार से बनाए हैं एक ही खा लो।’’ 

रामपाल ने उसका मन रखने के लिए समोसे का ऊपर का थोड़ा-सा हिस्सा मुंह में डाल लिया और ऊपर वाले हिस्से में जहर न होने के कारण रामपाल को कुछ नहीं हुआ। 

जेनेलिया छटपटा रही थी कि उसकी चाल कामयाब न हो सकी पर वह हार मानने वाली कहां थी। 

अगली चाल उसके शैतानी दिमाग ने इससे भी भयानक सोची। उसने बाथरूम के टब में पानी भरा और उसमें बिजली का करंट छोड़ दिया ताकि जब रामपाल नहाने के लिए पानी में पांव डाले तो करंट लगने से उसका काम तमाम और वह उसकी जायदाद  की मालिक बन जाएगी। रामपाल कुछ पढ़ रहा था। रामपाल ने पूछा, ‘‘डियर! आज तुम्हें ऑफिस नहीं जाना?’’

जेनेलिया बोली, ‘‘वैडनेस-डे को ऑफिस टूर पर जाना है इसलिए तीन दिन की छुट्टी मिली है।’’

रामपाल ने बत्ती बुझाई और सो गया। जेनेलिया का मन जो शैतान का रूप धारण कर चुका था खुश हो रहा था कि इस मुसीबत से सुबह जान छूट जाएगी।

सुबह हुई तो रामपाल नहाने के लिए बाथरूम में चला गया। ब्रश और शेव करने के बाद नहाने के लिए उसने अपना पांव पानी में रखा ही था कि बिजली चली गई। रामपाल नहाया, कपड़े पहने और बाहर आ गया। जेनेलिया से बोला, ‘‘डार्लिंग! नाश्ता मिलेगा या नहीं? छुट्टी आपको मिली है मुझे नहीं।’’

जेनेलिया की हालत, ‘काटो तो खून नहीं’ वाली हो गई। ब्रैड सैंडविच बना कर दिए। रामपाल ने जल्दी-जल्दी खाए, गाड़ी की चाबी ली और ऑफिस को निकल गया।

जेनेलिया ने रामपाल को बाय की और धम्म से सोफे पर गिर कर अपने बाल नोचने लगी कि यह बच कैसे गया। ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’। ऐसी हालत जेनेलिया की हो गई थी। उसे अपने पति को मारने के अलावा कुछ और सूझ ही नहीं रहा था। लिहाजा इस बार उसके शैतानी मन में एक ऐसा उपाय सूझा जो उसे पहले से ज्यादा बढिय़ा लगा।

शाम को रामपाल ऑफिस से घर आया तो जेनेलिया उसे बहुत ही कामुक अंदाज में मिली। रामपाल ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘आज बड़ी कातिल लग रही हो। आज किसके कत्ल का इरादा है? हम तो कब के आप पर मर मिटे हैं।’’ 

जेनेलिया ने बांहें उसके गले में डालकर कहा, ‘‘तुम जल्दी से फ्रैश होकर आओ। मैं एक सरप्राइज दूंगी।’’ 

रामपाल खुश भी हुआ और हैरान भी। क्योंकि ऐसा रवैया उसने पहले कभी देखा नहीं था। वह बाथरूम से कपड़े बदल कर निकला और बोला, ‘‘डियर! लो मैं आ गया। अब बताओ वह सरप्राइज क्या है?’’

जेनेलिया बोली, ‘‘आज टैरेस पर बैठकर ड्रिंक करते हैं। उसके बाद आपको ऐसा सरप्राइज दूंगी कि आप याद करेंगे।’’

रामपाल बोला, ‘‘पता नहीं क्यों आज मेरा भी मन ड्रिंक करने को कर रहा था। मैं टैरेस पर जाकर टेबल और चेयर रखता हूं तुम ड्रिंक लेकर जल्दी आ जाओ।’’

जेनेलिया को अपना प्लान कामयाब होता दिखाई दे रहा था। वह शराब और सनैक्स लेकर टैरेस पर पहुंच गई। जैसे ही जेनेलिया ऊपर आई रामपाल ने अपनी पत्नी से सामान पकड़ कर मेज पर रखा और स्नैक्स प्लेटों में डालने लगा। जेनेलिया ने ज्यादा शराब पिला कर उसे टुन्न कर दिया और फिर उससे बोली, ‘‘आओ डांस करते हैं।’’ रामपाल उठा और लडख़ड़ाता ....जेनेलिया के गले में बांहें डालकर डांस करने लगा। 

जेनेलिया उसे मुंडेर पर ले आई। उसे वहां खड़ा करके बोली, ‘‘यहां खड़े रहो मैं एक मिनट में आई।’’ रामपाल मुंडेर के पास खड़ा था। 

जेनेलिया फुर्ती से दरवाजे के पास पहुंची और वहां से रामपाल को धक्का देने के लिए भागती हुई आई। वह रामपाल को धक्का देने ही वाली थी कि ज्यादा नशे के कारण रामपाल छत पर ही गिर गया और तेजी से भागते हुए आने के कारण अपने आपको रोक न सकी और धम्म से सातवीं मंजिल से नीचे जमीन पर सिर के बल गिरी। बड़े जोर से सिर फटने की आवाज के साथ जमीन पर खून का छप्पड़ लग गया।    

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