Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 May, 2022 09:05 AM
राजा विक्रम सिंह के दो बेटे थे रणविजय और तरुणविजय। रणविजय अहंकारी था जबकि छोटा भाई तरुणविजय परोपकारी। राजा की मौत के बाद रणविजय गद्दी पर बैठा। उसके अत्याचार से
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Inspirational Story- राजा विक्रम सिंह के दो बेटे थे रणविजय और तरुणविजय। रणविजय अहंकारी था जबकि छोटा भाई तरुणविजय परोपकारी। राजा की मौत के बाद रणविजय गद्दी पर बैठा। उसके अत्याचार से प्रजा बहुत परेशान थी। छोटा भाई लोगों की मदद करता रहता था। जब रणविजय को इसका पता लगा तो उसने अपने भाई को राज्य का एक हिस्सा देकर अलग कर दिया।
छोटे भाई ने खुशी-खुशी वह हिस्सा ले लिया और आम का बगीचा लगा दिया। बगीचे की देखभाल तरुणविजय स्वयं करता था। जल्दी ही उसमें बहुत ही रसीले और मीठे आम आने लगे। जो भी यात्री उस रास्ते से जाता उस बगीचे के आम खाकर प्रसन्न होता और तरुणविजय को ढेरों दुआएं देता। रणविजय ने जब यह सुना तो उसने सोचा कि वह भी यदि ऐसा ही कोई बगीचा लगा दे तो फल खाकर लोग उसकी भी प्रशंसा करेंगे और तरुणविजय को भूल जाएंगे। रणविजय ने भी आम के कई बगीचे लगवा दिए। पेड़ बड़े हो गए मगर उनमें फल नहीं आए?
माली बोला, ‘‘महाराज, समझ में नहीं आ रहा कि इनमें फल क्यों नहीं लगे।’’ तभी उधर से एक संत गुजर रहे थे। उन्होंने जब राजा और माली की बात सुनी तो वे बोले, ‘‘राजन, इनमें फल नहीं आएंगे क्योंकि इन पर तुम्हारे अहंकार की छाया पड़ी हुई है। सेवा और सहायता में अहंकार का कोई स्थान नहीं है।’’ यह सुनकर रणविजय बहुत शर्मिंदा हो गया। उसने अहंकार को सदा के लिए छोड़ दिया।