Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Jan, 2022 01:38 PM
एक दिन स्कूल में विवेकानंद अपने दोस्तों को कहानी सुना रहे थे
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Inspirational story- एक दिन स्कूल में विवेकानंद अपने दोस्तों को कहानी सुना रहे थे। विवेकानंद कहानी सुनाने में और उनके दोस्त उसे सुनने में इतना खो गए कि किसी को पता ही नहीं चला कि कब मास्टर जी क्लास में आ गए। मास्टर जी ने क्लास में आते ही बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। आगे बैठे बच्चे उन्हें ध्यान से सुन रहे थे कि कुछ ही देर में मास्टर जी के कानों तक विवेकानंद की हल्की आवाज पहुंची। उन्होंने ऊंची आवाज में पूछा कि कक्षा में कौन बातें कर रहा है? वहां मौजूद अन्य छात्रों ने विवेकानंद और उनके दोस्तों की ओर इशारा कर दिया।
यह जानकर अध्यापक को गुस्सा आया। उन्होंने उन सभी को अपने पास बुलाया और पूछा कि मैं अभी क्या पढ़ा रहा था ? कोई जवाब न मिलने पर उन्होंने हर बच्चे की तरफ देखते हुए सवाल पूछा। सबने अपनी नजरें झुका लीं। तभी मास्टर जी विवेकानंद के पास पहुंचे और कहा कि क्या तुम्हें पता है कि मैं क्या पढ़ा रहा था? उन्होंने मास्टर को सही जवाब दे दिया।
तब उन्हें लगा कि इन सब बच्चों में से सिर्फ विवेकानंद ही ध्यान से पढ़ रहे थे, दूसरे बच्चे नहीं। यह सोचते ही मास्टर जी ने स्वामी के अलावा अन्य छात्रों को अपने-अपने बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी। सभी ने टीचर की बात मान ली और बेंच पर खड़े हो गए। कुछ ही देर में स्वामी विवेकानंद भी अपनी सीट पर जाकर बेंच पर खड़े हो गए।
विवेकानंद को बैंच पर खड़ा देखकर मास्टर ने कहा कि मैंने तुम्हें सजा नहीं दी है तुम बैठ जाओ। नजर झुकाते हुए विवेकानंद ने कहा, ‘‘सर, मैंने ही इन सभी छात्रों को बातों में लगा रखा था। गलती मेरी ही है।’’ सजा न मिलने पर भी स्वामी विवेकानंद द्वारा सच बोलने पर सभी छात्र काफी प्रभावित हुए।