Edited By Niyati Bhandari,Updated: 23 Jan, 2022 12:12 PM
प्राचीन समय में एक व्यापारी था, उसके पास पांच ऊंट थे। जिन पर सामान लादकर वे शहर-शहर घूमता
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Inspirational Story: प्राचीन समय में एक व्यापारी था, उसके पास पांच ऊंट थे। जिन पर सामान लादकर वे शहर-शहर घूमता और अपना कारोबार किया करता था। एक बार काम से वापिस लौटते हुए उसे रास्ते में ही रात हो गई। आराम करने के लिए वह नजदीक की सराय में रुक गया और बाहर पेड़ों से अपने ऊंटो को बांधने की तैयारी करने लगा। चार ऊंट तो बांध गए लेकिन पांचवें के लिए रस्सी कम पड़ गई।
वह सोचने लगा, "अब मैं क्या करूं ?"
फिर उसने सराय मालिक से मदद मांगने की सोची। जब वे सराय के अंदर जाने लगा तभी गेट पर उसे एक फकीर मिला। जिसने उससे परेशानी पूछी। उसने कहा," तुम मुझे अपनी परेशनी बताओ हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाऊं।"
तब व्यापारी ने उसे सारी बात बताई और उसकी बात सुन फकीर जोर-जोर से हंसने लगा और कहा," पांचवें ऊंट को भी ठीक उसी तरह बांध दो, जिस तरीके से तुमने बाकि ऊंटो को बांधा है।"
फकीर के यह कहने पर व्यापारी को गुस्सा आ गया और गुस्से में बोला, "उसे बांधने के लिए मेरे पास रस्सी कहां है ?"
इस पर फकीर ने कहा कि तुम उस ऊंट को कल्पना की रस्सी से बांधो। यह सुनकर व्यापारी को फकीर की सारी बात समझ में आ गई और उसने वैसे ही ऊंट के गले में रस्सी बांधने का नाटक करते हुए फंदा डालने जैसा व्यवहार किया और उसका दूसरा सिरा पेड़ से बांध दिया। ऐसा करते ही ऊंट बड़े आराम से बैठ गया।
फिर व्यापारी सराय में चला गया और अंदर जाकर बड़े आराम से चैन की नींद सो गया। जब सुबह उठा और चलने की तैयारी करने लगा। उसने बाकि ऊंटो को खोला और चलने को तैयार हो गया लेकिन जो पांचवां ऊंट था, वह हांकने पर भी खड़ा नहीं हुआ। व्यापारी को इस पर गुस्सा आया और वह उसे मारने लगा लेकिन फिर भी ऊंट नहीं उठा। इतने में कल वाला फकीर फिर वहां आ गया और उसने व्यापारी को कहा," पागल इस बेजुबान को क्यों मार रहा है ? कल जब यहां ऊंठ बैठ नहीं रहा था तब भी तुम परेशान थे और आज जब यह आराम से बैठा है तुम्हें तब भी परेशानी है। "
इस पर व्यापारी ने कहा, "महाराज ! मुझे अब जाना है।"
इस पर फकीर ने कहा, " जब तुम इसे खोलोगे तभी यह उठेगा।"
व्यापारी ने कहा, "मैंने इसे कौन सा सचमुच का बांधा था। र्सिफ बांधने का नाटक ही तो किया था।"
तो इस पर फकीर बोले," जैसे कल तुमने इसे पेड़ से बांधने का नाटक किया था, वैसे ही अब इसे खोलने का भी नाटक करो।"
तब व्यापारी ने फकीर की बात मानते हुए वैसे ही किया और पल भर में ऊंट खड़ा हो गया।
शिक्षा- जिस तरह ये ऊंट अदृश्य रस्सियों से बंधा था, उसी तरह लोग भी पुरानी सोच से बंधे हुए हैं और उन्हें छोड़कर आगे बढ़ना नहीं चाहते हैं। जबकि बदलाव तो प्रकृति का नियम है और इसलिए हमे रूढ़ियों के विषय में सोचना नहीं चाहिए। र्सिफ अपने और अपनों की खुशियों के बारे में सोचकर जीना चाहिए। कभी-कभी जिंदगी के कुछ ऐसे नियम, जो हमने नहीं बनाएं हैं और उनका इतना महत्व नहीं है। उन्हें जरूरत पड़े तो बदल देना चाहिए।