Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Feb, 2022 10:55 AM
एक बार स्वामी रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्यों को उपदेश दे रहे थे। वह शिष्यों को अवसर का महत्व बता रहे थे
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Inspirational Story- एक बार स्वामी रामकृष्ण परमहंस अपने शिष्यों को उपदेश दे रहे थे। वह शिष्यों को अवसर का महत्व बता रहे थे। वह कह रहे थे कि मनुष्य अक्सर अपने जीवन में आए सुअवसरों को ज्ञान और साहस की कमी के कारण खो देता है। अज्ञान के कारण मनुष्य या तो अवसर को समझ ही नहीं पाता और कोई समझ भी जाए तो उसका लाभ उठाने के अनुरूप उसमें साहस नहीं होता।
जब उन्होंने देखा कि बात शिष्यों को समझ नहीं आ रही है तो उन्होंने सामने ही बैठे नरेंद्र से कहा, ‘‘नरेंद्र मान ले अगर तू एक मक्खी है और तेरे सामने अमृत का एक कटोरा भरा पड़ा है। अब बता तू उसमें कूद पड़ेगा या किनारे बैठकर उसे छूने की कोशिश करेगा?’’
नरेंद्र बोले, ‘‘किनारे बैठकर छूने की कोशिश करूंगा। बीच में कूद पड़ा तो प्राण संकट में आ सकते हैं। इसलिए बुद्धिमानी इसी में
है कि किनारे बैठकर खाने की कोशिश की जाए।’’
पास में बैठे दूसरे शिष्यों ने विवेकानंद के तर्क की खूब सराहना की। किंतु परमहंस जी हंसे और बोले, ‘‘मूर्ख, जिस अमृत को पीकर तू अमर होने की कल्पना करता है, उसमें भी डूबने से डरता है। जब अमृत में डूबने का सुअवसर मिल रहा है तो फिर मृत्यु का भय क्यों?’’ तब शिष्यों को बात समझ में आई। चाहे आध्यात्मिक उन्नति हो या भौतिक, जब तक पूर्ण समर्पण नहीं होता, सफलता संदिग्ध है।