Edited By Jyoti,Updated: 10 Mar, 2021 04:40 PM
दातादीन अपने लड़के गोपाल को नित्य शाम को सोने से पहले कहानियां सुनाया करता था। एक दिन उसने गोपाल से कहा, ‘‘बेटा, एक बात कभी मत भूलना कि भगवान सब जगह मौजूद है।’’
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दातादीन अपने लड़के गोपाल को नित्य शाम को सोने से पहले कहानियां सुनाया करता था। एक दिन उसने गोपाल से कहा, ‘‘बेटा, एक बात कभी मत भूलना कि भगवान सब जगह मौजूद है।’’
गोपाल ने इधर-उधर देखकर पूछा, ‘‘पिताजी, भगवान सब जगह है? वह मुझे तो कहीं दिखते नहीं।’’
दातादीन ने कहा, ‘‘हम भगवान को देख नहीं सकते, किंतु वे हैं हर जगह और हमारे सब कामों को देखते रहते हैं।’’
गोपाल ने पिता की बात याद कर ली। कुछ दिन बाद अकाल पड़ा। दातादीन के खेतों में कुछ हुआ नहीं। एक दिन गोपाल को लेकर रात के अंधेरे में वह गांव से बाहर गया। वह दूसरे किसान के खेत में से एक ग_ा अन्न काटकर घर लाना चाहता था। गोपाल को मेड़ पर खड़ा करके उसने कहा, ‘‘तुम चारों ओर देखते रहो, कोई इधर आवे या देखे तो मुझे बता देना।’’
जैसे ही दातादीन खेत में अन्न काटने बैठा गोपाल ने कहा,‘‘पिताजी, रुकिए।’’
दातादीन ने पूछा, ‘‘क्यों, कोई देखता है क्या?’’
गोपाल, ‘‘हां, देखता है।’’
दातादीन खेत से निकल कर मेड़ पर आया। उसने चारों ओर देखा। जब कोई कहीं न दिखा तो उसने पुत्र से पूछा, ‘‘कहां? कौन देखता है?’’
गोपाल, ‘‘आपने ही तो कहा था कि ईश्वर सब जगह है और सबके सब काम देखता है। तब वह आपको खेत काटते क्या नहीं देखेगा?’’ दातादीन पुत्र की बात सुनकर लज्जित हो गया। चोरी का विचार छोड़कर वह घर लौट आया।