घर की इन दिशाओं के बारे में जानना आपके लिए भी है ज़रूरी

Edited By Jyoti,Updated: 16 Dec, 2020 05:41 PM

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पूर्व समय की बात करें तो हमारे बड़े-बुजुर्ग अपने घर को वास्तु के अनुसार बनवाते थे। इतना ही नहीं बल्कि इसके अलावा घर में रखी जाने वाली हर चीज़ तक को इसके अनुसार रखते थे। इसका कारण था कि उन्हें वास्तु के बारे में काफी हद तक जानकारी थी। मगर आज के समय...

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पूर्व समय की बात करें तो हमारे बड़े-बुजुर्ग अपने घर को वास्तु के अनुसार बनवाते थे। इतना ही नहीं बल्कि इसके अलावा घर में रखी जाने वाली हर चीज़ तक को इसके अनुसार रखते थे। इसका कारण था कि उन्हें वास्तु के बारे में काफी हद तक जानकारी थी। मगर आज के समय की बात करें तो लोग इससे रूबरू नहीं है। बहुत से लोग आज भी इससे अंजान है। जिस कारण जाने-अनजाने में वो इसके दुष्प्रभाव को अपने जीवन पर हावी कर लेते हैं। 
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मगर वास्तु शास्त्र को समझने वाले लोग आज भी अपने घर आदि को इसके अनुसार बनवाना पसंद करते हैं, क्योंकि घर की बनावट इसके अनुसार हो तो वहां रहने वालों को अपने जीवन में अधिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। आज हमको यही बताने वाले हैं कि अगर आप मलमास खत्म होने के बाद नया घर बनवाने की प्लॉनिंग कर रहे हैं तो आप के लिए वास्तु शास्त्र में बताई गई इन बातों को जान लेना बहुत ज़रूरी है। 

आज कल लोग घर बनाते समय किसी डिजाइन आदि को ज्यदा वास्तु का कम ख्याल रखते हैं। मगर वास्तु विशेषज्ञ की मानें तो वास्तु के अनुसार ही घर का नक्शा तैयार होना चाहिए। इस दौरान घर की चार मुख्य दिशाओं को लेकर ध्यान रखना अधिकत अवश्य होता है। इन चार कोनों में अगर जाने-अनजाने में वास्तु दोष पैदा हो जाएं तो कहा जाता है कि जीवन में मुश्किलें ही मुश्किलें आने लगती हैं। यहां जानिए घर के किस कौने में कौन सी वस्तु रखें तथा क्या ऐसा कार्य करें जिससे किसी भी प्रकार का वास्तुदोष निर्मित न हो, संकट से मुक्त हो जाएं और धन की आवक भी बनी रहे। 

वास्तु की मानें तो घर के चार खास कोण होते हैं, ईशान कोण, नैऋत्य कोण, आग्नेय कोण और वायव कोण।
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ईशान कोण यानि उत्तर और पूर्व के बीच की दिशा, वास्तु अनुसार यह स्थान जल एवं भगवान शिव का माना जाता है, जिसके स्वामी गुरु ग्रह होते हैं। ऐसे में यहां पूजा घर, मटका, कुंवा, बोरिंग वाटरटैंक अदि का स्थान होने उचित माना जाता है। 

आग्नेय कोण से मतलब है पूर्व और दक्षिण के बीच की दिशा, इसे अग्नि एवं मंगल का स्थान कहा जाता है एवं इसके स्वामी शुक्र ग्रह कहलाते हैं। इस दिशा में  रसोई या इलैक्ट्रॉनिक उपकरण आदि का स्थान होना चाहिए।

वायव्य कोण अर्थात पश्‍चिम और उत्तर के बीच की दिशा में वायु का स्थान होना लाभदायक होता है। इस दिशा के स्वामी चंद्र मान गए हैं। इस दिशा में खिड़की, उजालदान आदि का स्थान बनाना चाहिए, इसके अलावा यहां गेस्ट रूम भी हो सकता है। 

आखिर दिशा यानि दक्षिण और पश्‍चिम के बीच की दिशा जिसे नैऋत्य कोण कहा जाता है, पृथ्‍वी तत्व का स्थान होता है, इस दिशा के स्वामी राहु और केतु है। इस स्थान को हमेशा ऊंचा और भारी रखना चाहिए। यहां टीवी, रेडियो, सी.डी. प्लेयर अथवा खेलकूद का सामान यहां रखा जा सकता है। इसके अलावा यहां अलमारी, सोफा, मेज, भारी सामान तथा सुरक्षित रखे जाने वाले सामान भी रखा सकते हैं।
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