Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 04:10 PM
लोग अलग-अलग तरीकों से खुशियां ढूंढने की कोशिश करते हैं। कुछ इसे धन-दौलत और दुनियावी चीजों में ढूंढते हैं तो कुछ इसे यश और प्रसिद्धि में पाना चाहते हैं। अधिकतर लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के द्वारा ही खुशियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
लोग अलग-अलग तरीकों से खुशियां ढूंढने की कोशिश करते हैं। कुछ इसे धन-दौलत और दुनियावी चीजों में ढूंढते हैं तो कुछ इसे यश और प्रसिद्धि में पाना चाहते हैं। अधिकतर लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के द्वारा ही खुशियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। हमारा जीवन ऐसे ही गुजरता चला जाता है, जिसमें हम एक के बाद एक अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने में ही लगे रहते हैं।
समस्या यह है कि हमारी इच्छाओं का कोई अंत ही नहीं होता। जब हमारी एक इच्छा पूरी हो जाती है तो हमारे अंदर दूसरी पैदा हो जाती है। जब वह भी पूरी हो जाती है तो हमारे अंदर कोई और इच्छा उत्पन्न हो जाती है। उसके बाद फिर कोई अन्य इच्छा जाग जाती है। इस तरह हमारा जीवन गुजरता चला जाता है।
यह सच है कि आधुनिक संस्कृति हमारे अंदर नई-नई इच्छाओं को पैदा करती है। हम पोस्टरों, होडिग्स, टी.वी. और रेडियो पर रोज नए-नए विज्ञापन देखते-सुनते हैं। यदि हम इन चीजों पर विचार करें तो पाएंगे कि ये हमें वे स्थायी खुशियां नहीं देतीं, जिनका हमसे वादा किया जाता है। हम थोड़े समय के लिए जरूर इनसे खुशी हासिल करते हैं लेकिन इनके खो जाने या नष्ट हो जाने से या रिश्ते-नातों के टूट जाने या दूर हो जाने से हमें बहुत ही दुख और पीड़ा सहन करनी पड़ती है। इसलिए आवश्यकता है सही प्रकार की इच्छा रखने की।
युगों-युगों से संत-महापुरुष यही बताते चले आए हैं कि सच्ची खुशी हमें अवश्य मिल सकती है लेकिन उसे हम केवल अपने अंतर में पा सकते हैं। अगर हम बाहरी दुनिया में उसे ढूंढेंगे तो हमें निराशा ही हाथ लगेगी। यदि हम इस भौतिक संसार में संपूर्णता की तलाश करेंगे तो वह हमें कभी भी नहीं मिलेगी। सच्ची खुशी पाना इतना भी कठिन नहीं है, जितना हम सोचते हैं। स्थायी खुशी हमें अवश्य मिल सकती है, यदि हम उसे सही स्थान पर खोजें और वह सही स्थान है हम खुद। यदि हम अपने अंतर्मन में सच्चे आत्मिक स्वरूप का अनुभव कर लेंगे तो हमें इतनी अधिक खुशियां और प्रेम मिलेगा, जो इस संसार की किसी भी इच्छा की पूर्ति से हमें नहीं मिल सकता।