इस मंदिर में होता है अनोखा व अद्भुत चमत्कार, जानकर दंग रह जाएंगे आप

Edited By Jyoti,Updated: 05 Jul, 2019 01:48 PM

jagannath temple behta kanpur

मानसून के शुरू होते ही देश के कई शहरों में बारिश का आगाज़ हो गया है। तेज़ धूप को चीरती हुई ये बारिश लोगों को ठंडक का एहसास दिला रही है। तो वहीं कई शहरों में बारिश ने लोगों को बेहाल कर दिया है।

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मानसून के शुरू होते ही देश के कई शहरों में बारिश का आगाज़ हो गया है। तेज़ धूप को चीरती हुई ये बारिश लोगों को ठंडक का एहसास दिला रही है। तो वहीं कई शहरों में बारिश ने लोगों को बेहाल कर दिया है। वैसे तो Weather Forecasting  की मदद से तो मौसम का हाल जाना जा सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं हिंदू धर्म से जुड़ा एक ऐसा मंदिर है जो बिना किसी टेक्नोलॉजी की मदद से बारिश के आने का संकेत देता है। जी हां, इस मंदिर की छत बारिश के होने न होने के संकेत देती है। हम जानते हैं आपको सुनने में शायद अटपटा लग रहा हो, बहुत से लोग तो इस पर विश्वास भी नहीं करेंगे। मगर हमारी राय आपको यही है कि बिना इस मंदिर के बारे में जानें किसी नतीजा पर न आएं।

PunjabKesari, Jagannath Temple Behta, भगवान जगन्नाथ कानपुर, Kanpur
विस्तार से जानें मंदिर के बारे में
उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जनपद के भीतर गांव विकासखंड से तीन कि.मी. की दूरी पर बेहटा गांव स्थित है। इसी गांव में भगवान जगन्नाथ के एक प्राचीन मंदिर में धूप में छत से पानी टपकने लगता है और बारिश में बंद हो जाता है।

बारिश की आहट देती हैं छत की बूंदें 
लोक मान्यतओं के अनुसार बारिश होने के 6-7 दिन पहले ही मंदिर की छत से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं। इतना ही नहीं जिस आकार की बूंदे टपकती हैं, उसी आधार पर बारिश होती है। इन सबको देखते हुए गांव के लोग मंदिर की छत टपकने के संदेश को समझकर अपनी ज़मीनों को जोतने के लिए निकल पड़ते हैं। यहां की सबसे हैरानीजनक बात यह है कि जैसे ही बारिश शुरु होती है, छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है।
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वैज्ञानिक भी इसके आगे हुए फेल
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पुरातत्व विशेषज्ञ और वैज्ञानिक भी इस मंदिर के अनोखे रहस्य को नहीं जान पाए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का जीर्णोद्धार का कार्य 11वीं सदी में किया गया।

मंदिर को देखने पर इसकी बनावट बौद्ध मठ की तरह लगती है। इसकी दीवारें 14 फीट मोटी हैं जिससे इसके सम्राट अशोक के शासन काल में बनाए जाने का अनुमान लगाया जाता है। वहीं मंदिर के बाहर मोर का निशान व चक्र बने होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल में बने होने का अनुमान भी लगाया जाता है। मगर बता दें इसके निर्माण का ठीक-ठीक अनुमान आज तक नहीं लग पाया है।
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भगवान जगन्नाथ की होती है पूजा
इस प्राचीन मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ व सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की प्रतिमाएं विराजमान हैं। साथ ही प्रांगण में सूर्यदेव और पद्मनाभम की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। जगन्नाथ पुरी की तरह यहां भी स्थानीय लोगों द्वारा भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है।

 

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