यह भूल मत करना
मां-बाप होने के नाते अपने बच्चों को खूब पढ़ाना-लिखाना और पढ़ा-लिखाकर खूब लायक बनाना। मगर इतना लायक भी मत बना देना कि वे कल तुम्हें ही
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यह भूल मत करना
मां-बाप होने के नाते अपने बच्चों को खूब पढ़ाना-लिखाना और पढ़ा-लिखाकर खूब लायक बनाना। मगर इतना लायक भी मत बना देना कि वे कल तुम्हें ही ‘नालायक’ समझने लगें। अगर तुमने आज यह भूल की तो कल बुढ़ापे में तुम्हें बहुत रोना-पछताना पड़ेगा। यह बात मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कुछ लोग यह भूल जिंदगी में कर चुके हैं और वे आज रो रहे हैं। अब पछताने से क्या होगा जब चिड़िया चुग गई खेत।

संत कौन
संत को गाय-जैसा होना चाहिए, हाथी-जैसा नहीं। गाय घास खाती है, इसके बावजूद घी-दूध, मक्खन और छाछ देती है। गाय का गोबर भी काम आता है जबकि हाथी गन्ना, गुड़ और माल खाता है तो भी समाज को कुछ नहीं देता। संत-मुनि को घास अर्थात हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए। मतलब संत-मुनि वे हैं जो समाज से अंजुलि-भर लेते हैं और दरिया भर लौटा देते हैं।

घर की एकता का रहस्य
बच्चों के झगड़ों में बड़ों को और सास-बहू के झगड़ों में बाप-बेटे को कभी नहीं पड़ना चाहिए। संभव है कि दिन में सास-बहू में कुछ कहा-सुनी हो जाए तो स्वाभाविक है वे इसकी शिकायत रात घर लौटे अपने पति से करेंगी। पतियों को उनकी शिकायत गौर से सुननी चाहिए, सहानुभूति भी दिखानी चाहिए। मगर सुबह जब सोकर उठें तो ‘आगे पाठ-पीछे सपाट’ की नीति ही अपनानी चाहिए तभी घर की एकता कायम हो सकती है।

दिन में दो पुण्य अवश्य करें
जिंदगी में अच्छी संतान, सम्पत्ति और सफलता पुण्य से मिलती है। अगर आप चाहते हैं कि आपका इहलोक और परलोक सुखमय रहे तो पूरे दिन में कम से कम दो पुण्य जरूर करिए क्योंकि जिंदगी में सुख, सम्पत्ति और सफलता पुण्याई से मिलती है।
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