Edited By Lata,Updated: 13 Feb, 2020 05:07 PM
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन मां सीता का पूजन
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हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन मां सीता का पूजन किया जाता है और इसे सीता अष्टमी या जानकी जयंती भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि अष्टमी के दिन ही माता सीता धरती पर अवतरित हुईं और इस बार ये दिन 16 फरवरी को पड़ रहा है। इस दिन मां सीता और भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है। चलिए आगे जानते हैं इस दिन के पूजन की क्या विधि शास्त्रों में बताई गई है?
प्रभु श्रीराम की अर्धांगिनी माता सीता के व्यक्तित्व और गुणों के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है। राजा जनक के यहां एक अनाथ बालिका का पाल पपोषण हुआ। विवाह हुआ तो वनवास भी हुआ। वनवास हुआ तो अपहरण भी हुआ। अपरहण हुआ तो अग्नि परीक्षा देना पड़ी और अग्नि परीक्षा के बाद भी गृह त्याग कर आश्रम में रहकर ही दो पुत्रों को जन्म दिया। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वालों को सौभाग्य, सुख और संतान की प्राप्ति होती है और साथ ही परिवार में समृद्धि बनी रहती है।
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व्रत विधि
सुबह उठकर स्नान करें और उसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लें।
चौकी पर सीताराम का चित्र स्थापित करें व सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें, फिर मां सीता और भगवान राम का पूजन करें।
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मां सीता को पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सामान अर्पित करें और इसके बाद भोग लगाकर सीता मां की आरती करें। इसके साथ ही अपने परिवार के लिए सुख-शांति की प्रार्थना करें।