Edited By Lata,Updated: 16 Feb, 2020 10:38 AM
आज सीता जयंती का पर्व बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाएगा। पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह कृष्ण
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज सीता जयंती का पर्व बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाएगा। पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में माता का जन्म हुआ था और इसी के उपलक्ष्य में सीता जयंती का त्योहार मनाया जाता है। बता दें कि इसे जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार मां सीता की पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों का अंत होता है और सुख-शांति बनी रहती है। इसी के साथ हम आपको इस दिन पढ़ी जाने वाली कथा व पूजन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
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बाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में पड़े भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे, तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। उस ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा जनक धरती जोतने लगे। तभी एक कन्या उत्पन्न हुईं। राजा जनक ने उनको गोद में उठा लिया। मैथिली भाषा में हल को सीता कहते हैं, इसलिए जनक जी ने उनका नाम सीता रख दिया। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी, जनकात्मजा और जनकसुता कहा जाता है। मिथिला की राजकुमारी होने से उनको मैथिली भी कहा जाता है।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाराजा जनक जी पुष्य नक्षत्र के मध्याह्न काल में यज्ञ की भूमि तैयार कर रहे थे। उस समय वह हल से भूमि जोत रहे थे, तभी जमीन से सीता जी प्रकट हुई थीं। सीता का एक नाम जानकी भी है, इसलिए सीता जयंती को जानकी जयंती भी कहा जाता है।