Edited By Jyoti,Updated: 17 Aug, 2022 12:45 PM
19 अगस्त दिन शुक्रवार को हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक श्री कृष्ण जन्माष्टमी पड़ रही है। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण भगवान के प्राकट्य दिवस के उपलक्ष्य में पूरे देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
19 अगस्त दिन शुक्रवार को हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक श्री कृष्ण जन्माष्टमी पड़ रही है। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण भगवान के प्राकट्य दिवस के उपलक्ष्य में पूरे देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का अधिक महत्व है। धर्म ग्रंथों में किए गए वर्णन के अनुसार श्री हरि विष्णु ने भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्रि 12 बजे कृष्ण रूप में जन्म लिया था। अतः इस दिन श्री कृष्ण का पूजन आदि करना श्रेष्ठ माना जाता है। तो वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन इन्हें प्रसन्न करने के लिए कई उपाय आदि भी किए जाते हैं।
इसके अतिरिक्त इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा के साथ-साथ, उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। जिनमें से माक्खन का भोग श्री कृष्ण सबसे अधिक प्रिय है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति न हो रही हो उन्हें इस दिन पूरी विधि-पूर्वक श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है जिस पर भगवान कृष्ण की कृपा हो जाती है उन्हें वो अपने जैसी नटखट संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
तो आइए जन्माष्टमी के इस खास अवसर पर आपको बताते हैं श्री कृष्ण को समर्पित एक स्तोत्र के बारे में, जिसके जप करने से तमाम तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। धार्मिक व ज्योतिष शास्त्रों में उल्लेख के अनुसार इस दिन अनंतकोटि तेज स्वरूप श्रीकृष्ण भगवान का विधि वत पूजन-अर्चन करने के बाद इस कृपाकटाक्ष स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ करना बेहद लाभदायक माना जाता है। मान्यताओं के अनुासर इस कृष्णाष्टक स्त्रोत की सुंदर रचना भगवान श्रीशंकराचार्य ने की थी। जिसका जप करने से व्यक्ति की अधूरी इच्छाएं पूर्ण होती है।
।। श्रीकृष्ण प्रार्थना ।।
मूकं करोति वाचालं पंगु लंघयते गिरिम्।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्।।
नाहं वसामि वैकुण्ठे योगिनां हृदये न च।
मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद।।
अथ श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र ।।
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं, स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।
सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं, अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥
मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं, विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम्।
करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं, महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्ण वारणम्॥
कदम्बसूनकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं, व्रजांगनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम्।
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया, युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम्॥
सदैव पादपंकजं मदीय मानसे निजं, दधानमुक्तमालकं नमामि नन्दबालकम्।
समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं, समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम्॥
भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं, यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम्।
दृगन्तकान्तभंगिनं सदा सदालिसंगिनं,दिने-दिने नवं-नवं नमामि नन्दसम्भवम्॥
गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपापरं, सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनं।
नवीन गोपनागरं नवीनकेलि-लम्पटं, नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम्।।
समस्त गोप मोहनं, हृदम्बुजैक मोदनं, नमामिकुंजमध्यगं प्रसन्न भानुशोभनम्।
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं, रसालवेणुगायकं नमामिकुंजनायकम्।।
विदग्ध गोपिकामनो मनोज्ञतल्पशायिनं, नमामि कुंजकानने प्रवृद्धवह्निपायिनम्।
किशोरकान्ति रंजितं दृगंजनं सुशोभितं, गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम
यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा, मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम्।
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान्,भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान॥
इसके अतिरिक्त ज्योतिष विशेषज्ञों बताते हैं कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के सामने गाय के घी का दीपक जलाकर, पीले रंग के आसन पर बैठकर, "ॐ नमो भगवते वासुदेव" उक्त मंत्र का 108 बार जप करने के बाद उपर दी गई श्रीकृष्ण स्तुति का पाठ करने से भी कान्हा की कृपा प्राप्त होती है।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें